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________________ षोडश संस्कार आचार दिनकर 24 "गन्धं गृण्ह-गृह, पुष्पं गृण्ह-गृण्ह, धूपं गृण्ह-गृण्ह, दीपं गृह-गृह, अक्षतान् गृण्ह - गृण्ह, नैवेद्यं गृह- गृह" एक - एक बार यह मंत्र बोलकर इन वस्तुओं द्वारा क्रमशः भगवती देवी की पूजा करे। इसी विधि से दूसरी सात माताओं की भी पूजा करे । दूसरे मंत्र इस प्रकार हैं- ( अर्थात् शेष सात माताओं की पूजा निम्न मंत्र से करे ।) "ॐ ह्रीँ नमो भगवति महेश्वरि शूलपिनाककपालखट्वांगकरे चन्द्रार्द्धललाटे गजचर्मावृते शेषाहिबद्धकांचीकलापे त्रिनयने वृषभवाहने श्वेतवर्णे इह षष्ठीपूजने आगच्छ आगच्छ शेषं पूर्ववत् । " "ॐ ह्रीँ नमो भगवति कौमारि षण्मुखि शूलशक्तिधरे वरदाभयकरे मयूरवाहने गौरवर्णे इह षष्ठीपूजने आगच्छ आगच्छ शेषं पूर्ववत् । " "ऊँ ह्रीँ नमो भगवति वैष्णवि शंखचक्रगदाशाङर्गखङगकरे गरूड़वाहने कृष्णवर्णे इह षष्ठीपूजने आगच्छ आगच्छ शेषं पूर्ववत् ।” "ॐ ह्रीं नमो भगवति वाराहि वराहीमुखि चक्रखंगहस्ते शेषवाहने श्यामवर्णे इह षष्ठीपूजने आगच्छ आगच्छ शेषं पूर्ववत् ।” "ॐ ह्रीँ नमो भगवति इन्द्राणि सहस्रनयने वज्रहस्ते सर्वाभरणभूषिते गजवाहने सुरांगनाकोटिवेष्टिते कांचनवर्णे इह षष्ठीपूजने आगच्छ आगच्छ शेषं पूर्ववत् । " "ऊँ ह्रीँ नमो भगवति चामुण्डे शिराजालकरालशरीरे प्रकटितदशने ज्वालाकुन्तले रक्तत्रिनेत्रे शूलकपालखङ्गप्रेतकेशकरे प्रेतवाहने धूसरवर्णे इह षष्ठीपूजने आगच्छ आगच्छ शेषं पूर्ववत् । " ― — "ॐ ह्रीं नमो भगवति त्रिपुरे पद्मपुस्तकवरदाभयंकरे सिंहवाहने श्वेतवर्णे इह षष्ठीपूजने आगच्छ आगच्छ शेषं पूर्ववत् । " - यहाँ तक इस विधि से पूजा करे। जिस प्रकार खड़ी हुई ( माताओं) की पूजा की है, उसी प्रकार मंत्रार्चन प्रयोग के द्वारा बैठीं हुई एवं लेटी हुई माताओं की भी तीन बार पूजा करे। कुछ लोग चामुण्डा, त्रिपुरा (माता) को छोड़कर छः माताओं की ही पूजा करते हैं। इन माताओं की पूजा करके इस प्रकार बोले Jain Education International "अपने - अपने शस्त्र, बल, वाहनों से युक्त ब्राह्मणी आदि आठ माताएँ षष्ठी-पूजन से प्रसन्न हो शिशु को कल्याण प्रदान करें, अर्थात् शिशु का कल्याण करें। " For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001690
Book TitleJain Gruhastha ki Shodashsanskar Vidhi
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2005
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Culture, & Vidhi
File Size12 MB
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