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________________ षोडश संस्कार आचार दिनकर / / चौथा उदय / / सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार - विधि Jain Education International इस प्रकार जन्म के पश्चात् दो दिन व्यतीत हो जाने पर तीसरे दिन गुरु समीप के गृह में अर्हत् - अर्चनापूर्वक जिन-प्रतिमा के आगे स्वर्ण, ताम्र या रक्तचंदन की सूर्य की प्रतिमा को स्थापित करे तथा उसकी पूजा आगे कही गई प्रतिष्ठा, शान्तिककर्म, पौष्टिककर्म आदि की विधि के अनुसार करे । उसके पश्चात् शिशु-माता स्नान करके, सुन्दर वस्त्रों एवं आभूषणों को धारण करे तथा दोनों हाथों में शिशु को लेकर सूर्य के सन्मुख ले | विधिकारक गुरू सूर्य वेदमंत्र का उच्चारण करके माता और पुत्र को सूर्य का दर्शन कराए । सूर्य वेदमंत्र इस प्रकार है : — "ॐ अर्ह सूर्योऽसि, दिनकरोऽसि सहस्रकिरणोऽसि विभावसुरसि, तमोऽपहोऽसि, प्रियंकरोऽसि, शिवंकरोऽसि, जगच्चक्षुरसि, सुरवेष्टितोऽसि, मुनिवेष्टितोऽसि विततविमानोऽसि, तेजोमयोऽसि, अरुणसारथिरसि मार्तण्डोऽसि, द्वादशात्मासि, वक्र - बान्धवोऽसि नमस्ते भगवन् प्रसीदास्य कुलस्य तुष्टिं पुष्टिं प्रमोदं कुरू कुरू, सन्निहितो भव अर्ह ॐ ।। " गुरू के मंत्र - पाठ करने पर एवं सूर्य को देखने के बाद माता पुत्र सहित, गुरू को नमस्कार करे । गुरू पुत्र सहित माता को इस प्रकार से आशीर्वाद दे "जो सभी देवों एवं असुरों द्वारा वंदनीय है, समस्त धर्म कार्यों को कराने वाले हैं, त्रिलोक के नेत्र स्वरूप हैं, ऐसे परमात्मा पुत्र सहित तुम्हें मंगल प्रदान करने वाले हों।" उसके बाद विधिकारक गुरू अपने स्थान पर आकर स्थापित जिन - प्रतिमा एवं सूर्य-प्रतिमा को विसर्जित करें। माता और पुत्र को सूतक होने के कारण उन्हें वहाँ न ले जाए। उसी दिन संध्याकाल के समय दूसरे कक्ष में गृहस्थ गुरू जिनपूजापूर्वक जिनप्रतिमा के आगे स्फटिक, चांदी या चन्दन की चंद्र - प्रतिमा स्थापित करे । उस चन्द्रमा की प्रतिमा की पूजा भी शान्तिककर्म आदि पूर्वोक्त विधि से करे । उसके पश्चात् सूर्य-दर्शन की रीति से चंद्रोदय होने पर चन्द्रमा के सम्मुख माता एवं पुत्र को ले जाकर विधिकारक गुरू वेदमंत्र का उच्चारण करते हुए माता एवं पुत्र दोनो को चंद्रमा का दर्शन कराए। वह वेद मंत्र इस प्रकार है 20 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001690
Book TitleJain Gruhastha ki Shodashsanskar Vidhi
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2005
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Culture, & Vidhi
File Size12 MB
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