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षोडश संस्कार
आचार दिनकर
आचार्य वर्धमानसूरि के अनुसार पंचामृत, सर्वतीर्थों का जल, स्नात्र सामग्री (स्नान की वस्तुएँ), सहस्रमूल, दर्भ, कौसुम्भसूत्र, द्रव्य (मुद्रा), फल, नैवेद्य, उपयुक्त दो वस्त्र (वस्त्र का जोड़ा), शुभ आसन और स्वर्ण, ताम्र आदि के पात्र, वाद्य, सधवा स्त्रियाँ तथा पति का सामीप्य गर्भाधान के संस्कार में इन वस्तुओं का संग्रह करना चाहिए ।
इस प्रकार वर्धमानसूरि द्वारा प्रतिपादित आचारदिनकर में गृहिधर्म का गर्भाधान संस्कार नामक पहला उदय समाप्त होता हैं ।
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