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________________ षोडश संस्कार गुरू कामदेव के भवन में स्थापित कामदेव की प्रतिमा के समीप लाए । फिर उसके दोनों हाथो को कौसुंभ - सूत्र से कामदेव की प्रतिमा के हाथों के साथ बाँध दें। उसके बाद पंचबाण - मंत्र को 108 बार पढ़कर कुशाग्र से निकले हुए गन्धोदक से, अर्थात् कुशाग्र के द्वारा गन्धोदक से उसको अभिसिंचित करे । उसके बाद गृहस्थ गुरू वेदमंत्र पढ़ते हुए, वैश्या से उस प्रतिमा की तीन प्रदक्षिणा कराए। मंत्र इस प्रकार है : "ॐ अर्ह कामोऽसि, अभिलाषोऽसि, चित्तजन्मासि, संकल्पजन्मासि, काम्योऽसि, सेव्योऽसि, प्रियोऽसि, मान्योऽसि, शब्दोऽसि, रूपोऽसि, रसोऽसि, गन्धोऽसि, स्पर्शोऽसि सर्वगोऽसि सर्वव्यापकोऽसि, सर्वार्थोऽसि, आनन्ददोऽसि, ऊह्योऽसि, मदनोऽसि, मथनोऽसि, उन्मादनोऽसि, मोहनोऽसि, तापनोऽसि, शोषणोऽसि मारणोऽसि विकृतिऽसि, अजेयोऽसि दुर्जयोऽसि, प्रभुरसि, नमस्ते अर्ह ॐ ।" आचार दिनकर 78 यह मंत्र पढ़कर तीन प्रदक्षिणा देने के बाद यह कहे "हे भगवन् ! आपको नमस्कार है, आप इसके सौभाग्य को ग्रहण करें, बेटी ! तुम इनके द्वारा ब्याही गई हो, जहाँ-जहाँ इन भगवान् का हृदय में निवास है, वहाँ-वहाँ इच्छा को पूर्ण करना ।" यह कहकर उसको एक रात कामदेव के समीप रखे। उसके बाद स्वेच्छापूर्वक चल पड़े। यह वेश्या का विवाह है । Jain Education International - - सज्जनों को वैवाहिक नक्षत्रों में ही तेल का अभिषेक तथा विवाह - सम्बन्धी वस्तुओं का संग्रह प्रारम्भ करना चाहिए । इन सबके अतिरिक्त विवाह हेतु वाद्य यंत्र, नारियाँ, कुलवृद्धाएँ, दोनों के स्वजनों की सहमति, मण्डप - निर्माण, मातृका - पूजा, कुलकरों की अर्चना, वेदी - निर्माण, तोरण, अर्ध्य आदि की वस्तुएँ, शान्तिक- पौष्टिक कर्म की वस्तुएँ, विविध भोजन-सामग्री, कौसुंभ (पीला / केसरिया) सूत्र एवं वस्त्र, ऋद्धि-वृद्धि सूचक जौ आदि का वपन, गुरू के लिए वस्त्र एवं आभूषण और वर को देने के लिए गाय आदि, भोजन पकाने के बर्तन, दान के लिए शक्ति के अनुरूप धन तथा अन्य सभी आवश्यक वस्तुओं का संग्रह करें। -00 } For Private & Personal Use Only इस प्रकार वर्धमानसूरिविरचित आचारदिनकर में गृहस्थधर्म के विवाह - स्कार नामक यह चौदहवां उदय समाप्त होता है । www.jainelibrary.org
SR No.001690
Book TitleJain Gruhastha ki Shodashsanskar Vidhi
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2005
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Culture, & Vidhi
File Size12 MB
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