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हों और जिसका विपुल प्राचीन साहित्य हो, उसे नकार देना मिथ्या दुष्प्रचार के अतिरिक्त कुछ नहीं है? इस सबके पीछे श्वेताम्बर साहित्य और समाज की अवमानना का सुनियोजित षड्यन्त्र है। अत: उन्हें आत्मरक्षा के लिए सजग होने की आवश्यकता है।
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