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भूमिका
४५
सास्वादन
सस्वादन सम्यकदृष्टि (सासायण-सम्मदिट्ठी)
सम्मा-मिच्छाइट्ठो सम्मा-मिच्छादिठ्ठी सम्यगमिथ्यादृष्टि
(मिस्सगं) | (सम्यमिथ्यादृष्टि) | (मिश्रदृष्टि) सम्माइट्ठी (सम्यक्- | अविरय सम्मादिट्ठी सम्यग्दृष्टि दृष्टि) अविरदीए
१. सम्यग्दृष्टि
२. श्रावक
विरदाविरदे (विरत- विरयाविरए (विरत- देशविरत अविरत) देसविरयी अविरत) (सागार)संजमासंजम
३. विरत
विरद (संजम)
पमत्तसंजए
.
प्रमत्तसंयत
अप्रमत्तसंयत
४. अनन्तवियोजक | दंसणमोह उवसागमे | अपमत्तसंजए
(दर्शनमोह उपशामक)
५. दर्शनमोह-क्षपक | दंसणमोह खवगे | निअट्टिबायरे
(दर्शनमोह-क्षपक)
अपूर्वकरण
६. (चारित्रमोह)
उपशमक
चरितमोहस्स उपसा- |अनिअट्टिबायरे मगे (उवसामणा)
अनिवृत्तिकरण
सुहमरायो
सुहम-संपराए
सूक्ष्म-सम्पाराय
| उवसंत कसाय खवगे उवसंत मोहे
उपशान्त-मोह
७. उपशान्त
चारित्रमोह
८. चारित्रमोह क्षपक
९. क्षीणमोह
| खीणमोह (छदुमत्थो- | खीणमोहे वेदगो)
क्षीणमोह
१०. जिन
सयोगी केवली
जिण केवली सलण्हू सजोगी केवली सबदरिसी (ज्ञातव्य है कि चूर्णि में 'सजोगिजिणो' शब्द है, मूल में नहीं है)
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