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________________ प्रो. सागरमल जैन 268 ज्ञातव्य है कि मुनिजी ने मौर्यकाल को 108 के स्थान पर 160 बनाने का जो प्रयत्न किया है, वह इतिहास सम्मत नहीं है। 41. ज्ञातव्य है कि मुनिजी द्वारा एक ओर सम्भूति विजय के स्वर्ष के काल को साठ वर्ष साठ वर्ष करना और दूसरी ओर मौर्यों के इतिहास सम्मत 108 वर्ष के काल को एक सौ साठ वर्ष करना केवल अपनी मान्यता की पुष्टि का प्रयास है। 42. तित्थोगाली पइन्नयं -- पइण्णा सुत्ताई। -- सं. पुण्यविजयजी महावीर विद्याल, बम्बई, 793, 794 43. डॉ. रामशंकर त्रिपाठी, प्राचीन भारत का इतिहास, मोतीलाल बनारसीदास, देहली, 1968, पृ. 1391 ज्ञातव्य है "इन्होंने सम्प्रतिकाल 216-207 ई.पू. माना है। 44 (अ) देखें -- जैनशिलालेख संग्रह, भाग 2, प्रकाशक मणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला, 1952, लेख क्रमांक 41, 54,55,56,59,631 (ब) आर्यकृष्ण (कण्ह) के लिये देखें -- V.A. Smith -- The Jain Stupa and other Antiquities of Mathura, p. 24 45. नन्दीसूत्र स्थविरावली, 27, 28,29 46. कल्पसूत्र स्थविरावली (अन्तिम गाथा भाग) गाथा 1 एवं 4 47. मुनि कल्याणविजय, वीरनिर्वाण संवत् और जैन काल गणना, जालौर, पृ. 122, आधार - युगंप्रधान पट्टावलियाँ। 48. देखें-- जैन शिलालेख संग्रह, भाग 2, माणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला समिति, सितम्बर 1952, लेख क्रमांक 54 49. मुनि कल्याणविजय, वीरनिर्वाण संवत् और जैन काल गणना, जालौर, पृ. 121 एवं 131 50. देखें -- नन्दीसूत्र स्थविरावली, 27, 28 एवं 29 51. देखें -- जैन शिलालेखसंग्रह, भाग 2, लेखक्रमांक 41, 67 52. मुनि कल्याणविजय, वीरनिर्वाण संवत् और जैन काल गणना, जालौर, पृ. 106, टिप्पणी 53. V. A. Smith, The Jain Stupa and other Antiquities of Mathura, p.24 54. कल्पसूत्र स्थविरावली ( अन्तिम गाथा भाग), गाथा 1 . 55. विशेषावश्यकभाष्य 56. जैनशिलालेखसंग्रह, भाग 2, लेख क्रमांक 56, 59 57. मुनि जिनविजय, विविधगच्छीय पट्टावली संग्रह, प्रथम भाग, सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्याभवन, बम्बई, पृ. 17 58. कल्पसूत्र (सं. माणिकमुनि, अजमेर) 147 59. गुजरात नो राजकीय अने सांस्कृतिक इतिहास ग्रन्थ 3, वी.जे. इन्स्टीट्यूट, अहमदाबाद-9, पृ. 40 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001684
Book TitleSagar Jain Vidya Bharti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1994
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size19 MB
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