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________________ २२५ m an -www अध्याय। - सुबोधिनी टीका । द्रव्यार्थिकनयपक्षादस्ति न तत्त्वं स्वरूपतोपि ततः। नच नास्ति परस्वरूपात सर्वविकल्पातिगं यतो वस्तु ।। ७२८॥ अर्थ-द्रव्यार्थिकनयकी अपेक्षासे वस्तु स्वरूपसे भी अस्तिरूप नहीं है, क्योंकि सर्व विकल्पोंसे रहित ही वस्तुका स्वरूप है। यदिदं नास्ति स्वरूपाभावादस्ति स्वरूपसद्भावात् । तद्वाच्यात्ययरचितं वाच्यं सर्व प्रमाणपक्षस्य ॥७५९॥ अर्थ----जो वस्तु स्वरूपाभावसे नास्तिरूप है और जो स्वरूप सद्भावसे अस्तिरूप है वही वस्तु विकल्पातीत (अवक्तव्य) है । यह सब प्रमाण पक्ष है, अर्थातू पर्यायार्थिक नयसे अस्तिरूप और द्रव्यार्थिक नयसे विकल्पातीत तथा प्रमाणसे उभयात्मक वस्तु है । नित्य अनित्य पक्षउत्पद्यते विनश्यति सदिति यथास्वं प्रतिक्षणं यावत् । व्यवहार विशिष्टोऽयं नियतमनित्योनयःप्रसिद्धः स्थात्॥७६० ॥ अर्थ----सत्-पदार्थ अपने आप प्रतिक्षण उत्पन्न होता है और विनष्ट होता है । यह प्रसिद्ध व्यवहार विशिष्ट अनित्य नय अर्थात् अनित्य व्यवहार (पर्यायार्थिक) नय है। नोत्रचते न नश्यति ध्रुवमिति सत्स्याइनन्यथावृत्तेः । व्यवहारन्तर्भूनो नयः स नित्योप्यनन्यशरणः स्यात् ।।७६१॥ अर्थ-सत् न तो उत्पन्न होता है और न नष्ट ही होता है, किन्तु अन्यथा भाव न होनेसे वह नित्य है। यह अनय शरण (स्वपक्ष नियत) नित्य व्यवहार नय है । न विनश्यति वस्तु यथा वस्तु तथा नैव जायते नियमात् ।७६२१ स्थितिमेति न केवलमिह भवति स निश्चयनयस्य पक्षश्च । अर्थ ---निसप्रकार वस्तु नष्ट नहीं होता है, उस प्रकार वह नियमसे उत्पन्न भी नहीं होता है, तथा ध्रुव भी नहीं है। यह केवल निश्चय नयका पक्ष है भावार्थ उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य तीनों ही एक समयमें होनेवाली सत्की पर्यायें हैं । इसलिये इन पर्यायोंको पर्यायार्थिक नय विषय करता है, परन्तु निश्चय नय सर्व विकल्पोंसे रहित वस्तुको विषय करता है। यदिदं नास्ति विशेषैः सामान्यस्याविवक्षया तदिदम् उन्मन्नत्सामान्यैरस्ति तदेतत्प्रमाणमविशेषात् ॥ ७६३ ।। अर्थ-जो वस्तु सामान्यकी अविवक्षामें विशेषोंसे नहीं है, वही वस्तु सामान्यकी विवक्षासे है, यही सामान्य रीतिसे प्रमाण पक्ष है। भावार्थ-विशेष नाम पर्यायका है, पयायें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001681
Book TitlePanchadhyayi Purvardha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherGranthprakashan Karyalay Indore
Publication Year
Total Pages246
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size18 MB
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