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(१०) विषय-सूची।
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उत्तरार्ध । पृष्ठ । विषय ।
जीव और पुद्गल दोनों ही नौ पदार्थ हैं जीवकी ही नौ अवस्थाएं है दृष्टान्तमाला .... .... .... । एकान्त कथन और परिहार .... नौ पदार्थोके कहनेका प्रयोजन सूत्रका आशय.... .... ३ चेतनाके भेद .... | ज्ञान चेतनाका स्वामी .... ....
मिथ्यादर्शनका माहात्म्य.... .... १७ आत्मोपलब्धिमें हेतु .... ....
अशुद्धोपलब्धिका स्वामी अशुद्धोपलब्धि बंधका कारण है.... मिथ्यादृष्टिका वस्तु स्वाद .... ज्ञानी और अज्ञानीका क्रियाफल.... ज्ञानीका स्वरूप.... .... सम्यग्ज्ञानीके विचार .... .... सांसारिक सुखका स्वरूप ....
कर्मकी विचित्रता .... .... २९ सम्यग्दृष्टिकी अभिलाषायें शान्त
__ हो चुकी हैं ..... .... .... ३९ अनिच्छा पूर्वक भी क्रिया होती है
इन्द्रिय जन्य ज्ञान .... .... ज्ञानोंमें शुद्धिका विचार.... .... उपयोगात्मकज्ञान .... .... क्षयोपशमका स्वरूप ......
कर्मोदय उपाधि दुःखरूप है .... ४८ | अबुद्धिपूर्वक दुःख सिद्धिमें अनुमान
विषय। सामान्य विशेषका स्वरूप .... जीव अजीवकी सिद्धि .... .... मूर्त और अमूर्त द्रव्यका विवेचन सुखादिक अजीवमें नहीं है लोक और अलोकका भेद पदार्थोमें विशेषता क्रिया और भावका लक्षण .... जीव निरूपण .... .... जीव कर्मका संबंध अनादिसे है.... जीवकी अशुद्धताका कारण .... बंधका मूल कारण बंधके तीन भेद.... भावबंध और द्रव्य बन्ध.... उभयबंध जीव और कर्मकी सत्ता..... ज्ञान मूर्त भी है .... वैभाषिक शक्ति आत्माका गुण है अवद्ध ज्ञानका स्वरूप ..... बंधका स्वरूप .... .... .... बंधका भेद .... .... बंधके कारणपर विचार.... .... शुद्ध ज्ञानका स्वरूप .... अशुद्ध ज्ञानका स्वरूप ...... बंधका लक्षण .... अशुद्धता बंधका कार्य भी है और
कारण भी है .... .... .... जीव शुद्ध भी है और अशुद्ध भी है
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२०१९
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