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रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम्
[ दशमोऽध्यायः
भाष्यम् - अवगाहना - सर्वस्तोका जघन्यावगाहना सिद्धाः उत्कृष्टावगाहना सिद्धास्ततोऽसंख्येयगुणाः यवमध्यसिद्धा असंख्येयगुणाः यवमध्योपरिसिद्धा असंख्येयगुणाः यवमध्याधस्तात्सिद्धा विशेषाधिकाः सर्वे विशेषाधिकाः ॥
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अन्तरम् । - सर्व स्तोका अष्टसमयानन्तरसिद्धाः सप्तसमयानन्तरसिद्धाः षट्समयानन्तरसिद्धाः इत्येवं यावद्विसमयानन्तरसिद्धा इति सङ्ख्येयगुणाः। एवं तावदनन्तरेषु । सान्तरेष्वपि सर्वस्तोकाः षण्मासान्तरसिद्धाः एकसमयान्तरसिद्धाः संख्येयगुणाः यवमध्यान्तरसिद्धाः संख्ये गुणाः अधस्ताद्यवमध्यान्तरसिद्धा असंख्येयगुणाः उपरियवमध्यान्तर सिद्धा विशेषाधिकाः सर्वे विशेषाधिकाः ॥
अर्थ – शरीरकी अवगाहनाकी अपेक्षासे सिद्धों का अल्पबहुत्व इस प्रकार है । - अवगाहनाके जघन्य उत्कृष्ट प्रमाणको ऊपर बता चुके हैं । उसमेंसे जो जघन्य अवगाहना के द्वारा सिद्ध हुए हैं, उनका प्रमाण सबसे कम है। उससे असंख्यातगुणा प्रमाण उत्कृष्ट अवगाहना के द्वारा सिद्ध हुए जीवोंका है, और इससे भी असंख्यातगुणा प्रमाण उन जीवोंका है, जोकि यव-रचना के मध्य में दिखाई गई अवगाहना के द्वारा सिद्ध हैं । तथा इनसे भी असंख्यात - गुणा प्रमाण उनका है, जोकि यव-रचनामें मध्य भागसे ऊपर की तरफ दिखाई गई अवगाहना द्वारा सिद्ध हैं । एवं जो यव-रचना में मध्य भागसे नीचे की तरफ अवगाहना दिखाई है, उससे सिद्ध होनेवालोंका प्रमाण यव- मध्योपरिसिद्धों के प्रमाण से कुछ अधिक है । तथा सभी प्रमाणों में विशेषाधिकता - कुछ अधिकता समझनी चाहिये । इस प्रकार अवगाहना अनुयोगकी अपेक्षासिद्धोंके प्रमाणको न्यूनाधिक कहकर उनकी विशेषताका वर्णन किया जा सकता है ।
अन्तरकी अपेक्षासे अल्पबहुत्व इस प्रकार है । - अनन्तर - सिद्धों मेंसे जो आठ समयके अनन्तरसिद्ध होनेवाले हैं, उनका प्रमाण सबसे कम है। इनसे संख्यातगुणा प्रमाण सात समयके अनन्तरसिद्धों का है, और उनसे भी संख्यातगुणा प्रमाण बट्समयानन्तरसिद्धों का है । और उनसे संख्यातगुणा प्रमाण पञ्चसमयानन्तरसिद्धों का है । इसी प्रकार क्रम से द्विसमयानन्तरसिद्धों तक संख्यातगुणा संख्यातगुणा प्रमाण समझना चाहिये । इस प्रकार अनन्तरों - निरन्तरसिद्धों के विषयमें समझना चाहिये । सान्तरसिद्धों के विषय में भी जो छह महीना के अन्तरसे सिद्ध होनेवाले हैं, उनका प्रमाण सबसे कम है । इनसे संख्यातगुणा प्रमाण एक समय के अन्तर से सिद्ध होनेवालों का है । इनसे भी संख्यातगुणा प्रमाण यव- रचना के मध्य में दिखाये गये अन्तर सिद्ध होनेवालों का है । इनसे असंख्यातगुणा प्रमाण यवरचना के मध्य से नीचे की तरफ दिखाये गये अन्तरसे सिद्ध होनेवालोंका है, और इससे कुछ अधिक प्रमाण यव रचनाके मध्यभागसे ऊपर की तरफ दिखाये गये अन्तरसे सिद्ध होनेवालोंका है । तथा सब भेदों में कुछ अधिकताका प्रमाण समझ लेना चाहिये ।
भाष्यम् । - संख्या । - सर्वस्तोका अष्टोत्तरशतसिद्धाः विपरीतक्रमात्सप्तोत्तरशतसिद्धादयो यावत्पञ्चाशत् इत्यनन्तगुणाः । एकोनपञ्चाशदादयो यावत्पञ्चविंशतिरित्य संख्येयगुणाः ।
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