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सूत्र १०।
समाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् ।
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माना है । पाँच प्रकारके प्रवीचारसे उत्पन्न होनेवाली प्रीति विशेषसे भी इनकी प्रीतिके प्रकर्षका महत्व अपरिमित है । अतएव ये परमसुखके द्वारा सदा तृप्त ही रहा करते हैं।
भावार्थ-प्रवीचारकी गंधसे सर्वथा रहित होनेके कारण कल्पातीत देव आत्मसमुत्थ अनुपम सुखका अनुभव करनेवाले हैं । रूप रस गन्ध स्पर्श और शब्द ये पाँच मनोहर विषय प्रवीचारके कारण हैं। इन पाँचोंके समुदायसे जो सुखानुभव हो सकता है, उससे भी अपरिमित. गुणा प्रीतिविशेष-प्रमोद-आत्मिक सुख इन देवोंके रहा करता है। उनके सुखके समान सुख अन्यत्र संसारमें कहीं भी नहीं मिल सकता । अतएव वे जन्मसे लेकर मरण पर्यन्त निरंतर सुखी ही रहा करते हैं।
____" न परे" ऐसा सूत्र करनेसे भी काम चल सकता था, फिर भी अप्रवीचार शब्दका ग्रहण करके सूत्रमें जो गौरव किया है, वह विशेष अर्थका ज्ञापन करनेके लिये है। जिससे इन देवोंमें संक्लेश अधिक नहीं हैं, अल्प है, और संसार प्रवीचार समुद्भव है, इत्यादि विशिष्ट अर्थका बोध होता है।
अबतक देवोंके सामान्य वर्णन द्वारा नाम निकाय विकल्प विधिका वर्णन किया, अब विशेष कथन करनेकी इच्छासे ग्रन्थकार कहते हैं:
भाष्यम-अत्राह-उक्तं भवता “देवाश्चतुर्निकायाः," दशाष्ट पंचद्वादशविकल्पाः इति । तत् के निकायाः ? के चैषां विकल्पाः इति ? अत्रोच्यते-चत्वारो देवनिकायाः। तद्यथाभवनवासिनो व्यन्तरा ज्योतिष्का वैमानिका इति । तत्र:
अर्थ--प्रश्न-आपने इस अध्यायकी आदिमें पहला-" देवाश्चतुर्निकायाः" और तीसरा-" दशाष्टपंचद्वादशविकल्पाः" ऐसा सूत्र कहा है । उसमें निकाय शब्दका पाठ किया है । सो यह नहीं मालूम हुआ कि, निकाय कहते किसको हैं ? और उसके कितने भेद हैं ?
उत्तर-देवोंके चार निकाय हैं । यथा-भवनवासी व्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक ।
भावार्थ-प्रश्नकर्ताका अभिप्राय सामान्य जिज्ञासाका नहीं, किन्तु विशेष जिज्ञासाका है । अर्थात् निकाय शब्दसे जो आपने बताये हैं वे कौन कौनसे हैं, और • उनके वे दश आदिक भेद कौन कौनसे हैं। अतएव उत्तरमें भाष्यकार निकायोंके चार
भेदोंके भवनवासी आदि नाम गिनाकर क्रमसे पहले भवनवासियोंके दश भेदोंको बतानेके लिये सूत्र कहते हैं:
९-टीकाकारने रूप रस गन्ध स्पर्श और शब्द इन विषयोंकी अपेक्षासे प्रवीचारके पाँच भेद बताये हैं। परन्तु सूत्रोक्त पाँच प्रकारके प्रवीचार इस तरह कहे जा सकते हैं, कि-कायिक, स्पार्शन, दार्शनिक, शाब्दिक और मानसिक । जैसा कि सूत्र ८-९ से प्रतीत होता है।
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