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जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/39
अध्याय २ श्रावकाचार सम्बन्धी विधि-विधानपरक साहित्य
अनुष्ठानविधि
यह कृति प्राकृत में है। इसका श्लोक परिणाम १०४६ है। इस कृति के उपलब्ध न होने से विशेष जानकारी देना असंभव है।' अणुव्रतविधि
इसका दूसरा नाम श्रावकधर्म है। यह प्राकृत में है। प्रति पर लेखनकाल सं. ११६२ उल्लेखित है। कृति हमें उपलब्ध नहीं हुई है, इसमें संभवतया अणुव्रतों के स्वरूप का विवेचन एवं अणुव्रत धारण करने की विधि होनी चाहिये। आनन्दश्रावकविधि
यह रचना मनि हेमकीर्ति की है। यह भी हमें उपलब्ध नहीं हुई है। किन्तु कृति के नाम से इतना कह सकते हैं कि इसमें आनन्द श्रावक द्वारा ग्रहण किये गये बारहव्रत की विधि उल्लिखित है। आवश्यकविधि
इसमें श्रावक-श्राविकाओं की आवश्यक विधियों या षड़ावश्यक विधि का वर्णन हुआ प्रतीत होता है। मूलतः यह कृति विधि-विधान से सम्बन्धित है। आवश्यकविधिप्रकरण
यह रचना भी आवश्यक क्रिया विधि से सम्बद्ध होनी चाहिये। इसमें प्राकृत में निबद्ध ४० गाथाएँ हैं।' अमितगति-श्रावकाचार
आचार्य सोमदेव के पश्चात् संस्कृत साहित्य के प्रकाण्ड विद्वान् आचार्य अमितगति हुए हैं। इन्होंने विभिन्न विषयों पर अनेक ग्रन्थों की रचना की है।
' जिनरलकोश पृ. ६ २ वही. पृ.६ ३ वही. पृ. ३० ४ वही. पृ. ३५ ५ वही. पृ. ३५
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