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की अनुज्ञा पूर्वक ग्रहण करना, ज्ञानीजनों का विनय करना, ज्ञानोपकरण की आशातना से बचते रहना, ज्ञान की भक्ति करना ये सभी विधिपूर्वक होते हैं तथा पूर्वोक्त नियमों का पालन करने पर ही ज्ञानाचार का पालन होता है। यही बात दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार और वीर्याचार के विषय में भी जाननी चाहिए। इससे यह सिद्ध होता हैं कि पंचाचार के मूल में विधि-विधान समाहित ही है । इसी अपेक्षा से इस ग्रन्थ को विधि-विधानों की कोटि में लिया है।
जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास / 631
प्रस्तुत कृति पाँच प्रकाशों में विभक्त है। उनमें क्रमशः ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार और वीर्याचार इन पाँच भेदों का प्रत्येक के उपभेदों के साथ निरूपण हुआ है। इसके साथ ही इसमें विविध कथानक' तथा संस्कृत एवं प्राकृत के उद्धरण दिये गये हैं। प्रारम्भ में मंगलाचरण एवं ग्रन्थ प्रतिज्ञा रूप दो गाथाएँ हैं अन्त में पन्द्रह श्लोकों की प्रशस्ति है इस कृति के प्रथम प्रकाश का गुजराती अनुवाद रामचन्द्र दीनानाथ शास्त्री ने किया है और वह प्रकाशित भी हो चुका है। आचारविधि की दृष्टि से कृति उपयोगी है।
आध्यात्मिक5- अनुष्ठान-आराधना
यह अत्यन्त लघु पुस्तिका है। इसका संकलन गणाधिपति आचार्य तुलसी के शिष्य मुनि मोहजीतकुमार ने किया है। इसमें नये पुराने तथा उनकी परम्परा में प्रवर्तित कुछ अनुष्ठानों की आराधनाविधि का वर्णन है। सर्वप्रथम ‘विशिष्टबीजमंत्र' अर्थ सहित दिये गये हैं और कहा गया हैं कि इन बीज मंत्रों की उपासना करने से आध्यात्मिक शक्ति का संचय होता है तथा आत्मशुद्धि और ऊर्जा का विकास होता है। इसके पश्चात् सुप्त शक्तियों को प्रगट करने के लिए संकल्प सूत्र दिये गये हैं, जो प्रत्येक साधक के लिए प्रयोग करने जैसे हैं। तत्पश्चात् क्रमशः निम्नलिखित विधानों एवं अनुष्ठानों का निरूपण किया गया है उनके नाम निर्देश इस प्रकार है
१. आध्यात्मिक विकास के मंत्र एवं उनकी जपविधि, २. वर्षावास स्थापना का अनुष्ठान, ३. ग्रहविघ्ननिवारक अनुष्ठान एवं उसकी विधि, ४. नवान्हिक आध्यात्मिक अनुष्ठान एवं उसकी विधि, ५. उपसर्गहर स्तोत्र का पाठ एवं उसकी आराधनाविधि, ६. नमस्कार महामंत्र का अनुष्ठान एवं उसकी जप विधि, ७. विशिष्ट मंत्र एवं उसकी आराधना विधि।
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पृथ्वीपाल नृप के कथानक में समस्याएँ तथा गणित के उदाहरण दिये गये हैं । ग्रन्थकार ने इसके विषय में 'राजकन्याओनी परीक्षा' और 'राजकन्याओनी गणितनी परीक्षा' इन दो विषयों पर विचार किया है।
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