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________________ 592/ज्योतिष-निमित्त-शकुन सम्बन्धी साहित्य दिनशुद्धि नामक प्रकरण में वार, तिथि, नक्षत्र, योग, योगिनी, लग्न, आदि का सविस्तार वर्णन हुआ है। उनमें प्रस्थान, प्रवेश, दीक्षा, लोच, प्रतिमाप्रवेश, विद्यारंभ, नूतन पात्र का उपयोग, प्रतिष्ठा मुहूर्त आदि कृत्यों में कौनसा दिन, वार, नक्षत्र, लग्न, चंद्रबलादि शुभ और अशुभ होते है? मृतादि कार्य में कौन से नक्षत्र वर्ण्य हैं? प्रतिमा का नाम रखने की विधि, कर्णवेध तथा राजा के दर्शन करने के नक्षत्र, खोयी हुई वस्तु पुनः मिलने के नक्षत्र आदि पर विशेष प्रकाश डाला गया है। जैन ज्योतिष का प्रारम्भिक एवं शास्त्रविहित ज्ञानार्जन करने की दृष्टि से ये दोनों कृतियाँ बहुमूल्य सिद्ध हुई हैं। उवस्सुइदार (उपश्रुतिद्वार) यह तीन पत्रों की प्राकृत भाषा की कृति पाटन के जैन भंडार में है। इसके कर्ता अज्ञात है। इसमें सुने गये शब्दों के आधार पर शुभाशुभ फल कहने का वर्णन है। उदयदीपिका यह ग्रन्थ उपाध्याय मेघविजयजी ने वि.सं. १७५२ में मदनसिंह श्रावक के लिए रचा था। इसमें ज्योतिष संबंधी प्रश्नों और उनके उत्तरों का वर्णन है। यह ग्रन्थ अप्रकाशित है। उस्तरलावयंत्र इसकी रचना वडगच्छीय विनयसुन्दर मुनि के शिष्य मुनि मेघरत्न ने की है। यह कृति वि.सं. १५५० के करीब रची गई है। इसमें ३८ श्लोक हैं। यह कृ ति खगोलशास्त्रियों के लिये उपयोगी विषयों पर प्रकाश डालती है। इसमें अक्षांश और रेखांश का ज्ञान प्राप्त करने की विधि बतायी गई है और इसके लिए एक उपयोगी यंत्र दिया गया है। इस यंत्र के द्वारा नतांश और उन्नतांश का वेध करने की भी सहायता ली जाती है। इससे काल का परिज्ञान भी होता है।' टीका - इस लघु कृति पर स्वोपज्ञ टीका भी रची गई है। करणराज इस ग्रन्थ के रचयिता रुद्रपल्लीगच्छीय जिनसुन्दरसूरि के शिष्य मुनिसुन्दर है। इसका रचनाकाल वि.सं.१६५५ है। यह ग्रन्थ दस अध्यायों में विभक्त है १. ' यह ग्रन्थ अप्रकाशित है परंतु इसका परिचय श्री अगरचन्द नाहटा ने 'उस्तरलाव-यन्त्रसम्बन्धी एक महत्त्वपूर्ण जैन ग्रन्थ' शीर्षक से 'जैन सत्यप्रकाश' में छपवाया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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