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504 / मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य
इसमें विशेष रूप से पद्ममुद्रा के द्वारा प्रभु की समवसरण में स्थपना, ३६० क्रयाणक पुटिका का न्यास, नवअंग का पूजन, १०८ अभिषेक, भूतबलिप्रदान, मंगलपाठ सहित अखंड अक्षत से बधामणा, धर्मदेशना, तंबोलदान, प्रतिष्ठादेवता एवं सर्वदेवता का विसर्जन, शांतिधारा, कंकणमोचन आदि का निर्देशन दिया गया हैं।
तेरहवाँ विभाग - इसमें 'गुरुमूर्ति की अभिषेकविधि' कही गई है। इसके साथ 'जिनबिम्बप्रवेशविधि' एवं 'जिनबिम्बप्रतिष्ठाविधि' भी उल्लिखित है। इसमें स्नात्रपूजा, बलिबाकुलाप्रदान, पौंखणविधि, मंत्र आलेखन, प्रभु प्रतिमा का प्रवेश, कंकु के थापा, चैत्यप्रतिष्ठाविधि, विविध प्रकार के पात्रों का स्थापन, चारवेदिकाओं का निर्माण, गादी (पवासन) पूजन, कूर्मस्थापन, ध्वजदंड - कलश प्रतिष्ठा विधि, द्वारोद्घाटन, कुंभ- दीपक - नंद्यावर्त्त - नवग्रह-दशदिक्पाल - वेदिका - माणेकस्तंभ आदि का विसर्जन इत्यादि पर प्रकाश डाला गया है।
चौदहवाँ विभाग- इस विभाग में जिनबिंबों पर पच्चीस प्रकार की कुसुमांजलि प्रक्षेपण करने की विधि कही गई है। यह विधान अर्हत्पूजन में से उद्धृत किया गया है। यहाँ पच्चीस प्रकार की कुसुमांजलि के नाम इस प्रकार हैं -
पहली चंदनपूजा की कुसुमांजलि, दूसरी कंकुविलेपन आदि कुसुमांजलि, तीसरी यक्षकर्दम विलेपन कुसुमांजलि, चौथी कपूर ढौकन, पाँचवी वासक्षेप विलेपन आदि की कुसुमांजलि, छठी कस्तूरी- विलेपन, सॉवतीं कालागुरु-विलेपन आदि, आठवीं पुष्पालंकारावतारण, नवमी स्नात्रपीठ प्रक्षालन, दशवीं अंगलूंछणादि से बिंबशुद्धि, ग्यारवहीं पुष्पपूजा, बारहवीं फलपूजा, तेरहवीं अगरुधूपपूजा, चौदहवीं वासधूपपूजा, पन्द्रहवीं जलपूजा, सोलहवीं अक्षतपूजा, सतरहवीं पंचांगरक्षा, अठारहवीं लूणउतारण, उन्नीसवीं फूल माला बीसवीं क्षमायाचना आदि, इक्कीसवीं दीपकपूजा, बाईसवीं आरीसा दर्शन, तेईसवीं जिनस्तोत्र आदि, चौबीसवी प्रार्थना आदि, पच्चीसवीं ध्यान आदि की कुसुमांजलि चढ़ाने का निरूपण है।
पन्द्रहवाँ विभाग- इस विभाग में 'देवीप्रतिमाविधि' चर्चित है। इसमें सर्वधान्यों से बधामणा, पंचगव्य स्नात्र, आठ पुष्पांजलिहोम, अग्नि प्रारंभ की विधि, आहूति प्रदान की विधि, भगवती मंडल की स्थापनाविधि, होम के बाद करने योग्य विधि आदि पर सम्यक् प्रकाश डाला गया है।
सोलहवाँ विभाग - इस विभाग में पच्चीस प्रकार के मुद्राओं की विधि बतायी गयी हैं। सतरहवाँ विभाग- यह विभाग स्नात्रपूजा, शांतिकलश, स्मरणादि स्तोत्रों का उल्लेख करता है।
अठारहवाँ विभाग - इस अन्तिम विभाग में पूर्वोक्त सभी विधि-विधानों की सामग्री
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