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________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास / 469 रखता है। यद्यपि इस कृति के प्रारम्भ में किसी रचनाकार के नाम का उल्लेख नहीं है परन्तु जो भी विधि-विधान संकलित किये गये हैं वे प्रायः किसी न किसी विद्वत आचार्य, मुनि या कवि द्वारा रचित हैं। इस कृति में उन-उन रचनाकारों के नाम भी दिये गये हैं जिनका उल्लेख आगे किया जा रहा है। प्रस्तुत संग्रह तीन भागों में प्रकाशित है। इस संग्रह के प्रथम भाग में ये विधि-विधान वर्णित हैं- १. मण्डल विधान आरम्भ करने की विधि २. आवश्यकमंत्र, सकलीकरण, मण्डप प्रतिष्ठा विधि ३. अभिषेक विधि ४. पूजा प्रारम्भ करने की विधि एवं आवश्यक पूजा का अर्थ ५. विनायकमंत्र पूजा विधि ६. मंडल विधान एवं उसकी रचना विधि ७. पूजन विधि एवं बीजाक्षर अंकन ८. श्रुतस्कंध विधान- यह आचार्य श्रुतसागरजीकृत है । ६. श्री भक्तामर विधान - यह आचार्य सोमसेन द्वारा रचा गया है। १०. श्री शान्तिनाथ विधान- यह पं. ताराचन्दजी रिवाडी विरचित है। ११. बृहद्भिर्वाण विधान- यह कवि जगतराम जैन द्वारा बनाया हुआ है। १२. सम्मेदशिखर विधान- यह कवि जवाहरलाल द्वारा निर्मित है। १३. पंचमेरूपूजन विधान- यह कवि टेकचंदजी की रचना है । १४. कर्मदहन विधान- यह कवि श्रीचंद्रजी जैन द्वारा रचा गया है। १५. नंदीश्वरद्वीप विधान- इसकी रचना कवि रविलालजी ने की है । १६. नवग्रहअरिष्टनिवारक विधान- इसकी रचना मनसुखसागर द्वारा की गई है । १७. रत्नात्रय विधान- यह कवि टेकचंदजी द्वारा बनाया हुआ है। १८. महामृत्युंजय विधान- यह पं. आशाधर जी कृत है । १६. हवन विधि - यह प्रतिष्ठा ग्रंथ से संकलित की गई है। प्रस्तुत संग्रह के दूसरे भाग में उल्लिखित विधान निम्नोक्त हैं - प्रथम विभाग में वर्णित मण्डल विधान से लेकर बीजाक्षर अंकन तक के १ से ७ विधि-विधान इसमें भी यथावत् दिये गये हैं। उसके बाद निम्न विधि विधानों का उल्लेख हुआ हैं- १. यागमण्डल विधान - यह ब्र. शीतलप्रसादजी कृत है २. पंचकल्याणक विधान- यह भी ब्र. शीतलप्रसादजी कृत है ३. चौसठऋद्धि ऋषि विधान - यह कवि स्वरूपचंदजी द्वारा रचा गया है ४ दशलक्षण विधान - यह कवि टेकचंद्रजी की रचना है ५. लब्धि विधान- यह कवि श्रीचन्द्रजी रचित है ६ . णमोकार पैंतीसी विधान - यह रचना श्री सिद्धसागरजी की है ७. ऋषिमण्डल विधान- यह आर्यिका ज्ञानमतीजी द्वारा निर्मित है ८. रविव्रत विधान- इसकी रचना कवि कल्याणकुमारजी ने की है ६. जिनगुणसम्पत्ति विधान- इसकी रचना आर्यिका ज्ञानमती जी द्वारा की गई है ६. णमोकारमहामंत्र विधान- यह पन्नालालशास्त्री कृत है १०. गणधरवलय विधान- यह श्री शुभचन्द्राचार्य द्वारा लिखा गया है। ११. हवन एवं विधि- पूर्ववत् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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