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जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास / 457
पूजाष्टक - यह अज्ञातकर्तृक रचना है। पूजासंग्रह - इसमें मुनि रूपविजयजी कृत पूजाओं का संग्रह है। पूजासंग्रह
यह कृति हिन्दी पद्य में विरचित है। इसमें संग्रहित पूजाएँ श्री आत्मारामजी महाराज की बनाई हुई है। उन पूजाओं के नाम ये हैं- १. स्नात्रपूजा विधि २. द्वादशव्रत पूजा विधि ३. पंचकल्याणक पूजा विधि ४. एकवीस - प्रकार पूजा विधि ५. ऋषिमंडल पूजा विधि ६. नंदीश्वरद्वीप पूजा विधि ७. नवाणुंप्रकार पूजा विधि
अन्त में उपयोगी एवं प्राचीन स्तवनों, सज्झायों तथा गहूलियों का व्यापक संग्रह दिया गया है। पूजाविधिसंग्रह
यह कृति गुजराती पद्य में है। इसमें संग्रहीत की गई पूजाएँ पं. वीरविजयजी विरचित है। इसमें मुख्य रूप से तीन पूजाएँ वर्णित हैं १. श्री स्नात्र पूजा विधि २. श्री पार्श्वनाथ पंचकल्याणक पूजा विधि ३. श्री अंतरायकर्मनिवारण पूजा विधि
पूजासंग्रह ( भा. १.२ )
यह कृति गुजराती पद्य में' है। इसमें बुद्धिसागरसूरीजी रचित तेरह पूजाओं की विधियाँ वर्णित हैं। इसके दूसरे भाग में वीरविजयजी एवं सकलचंद्रगणि कृत पूजाएँ दी गई हैं। उन पूजाओं का नामोल्लेख इस प्रकार हैं १. स्नात्र पूजा २. बारह भावनाओं की पूजा ३. सम्यक्त्वव्रत सहित बारहव्रत पूजा ४. महावीरस्वामी पंचकल्याणक पूजा ५. पंचज्ञान पूजा ६. अठारहपापस्थानकनिवारण पूजा ७. नवपद पूजा ८. पंचाचार पूजा ६. बीशस्थानकपद लघुपूजा १०. दशविधि यतिधर्म पूजा ११. अष्टकर्मनिवारण अष्टप्रकारी पूजा १२. वास्तुक पूजा १३. महावीरस्वामी अष्टप्रकारी पूजा
इस कृति के दूसरे भाग में उल्लिखित पूजाएँ ये हैं
१. पं. वीरविजयजी कृत - स्नात्र पूजा विधि २. पंचकल्याणक पूजा विधि ३ . बारहव्रत पूजा विधि ४. अंतरायकर्मनिवारण अष्टप्रकारी पूजा विधि, ५. सकलचन्द्रगणिकृत सत्रहभेदी पूजा विधि, ७. पं. पद्मविजयजीकृत - नवपद पूजा विधि
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यह पुस्तक जैन श्वे. मूर्तिपूजक ट्रस्ट - महुडी से वि.सं. २०५६ में प्रकाशित हुई है।
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