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________________ 444 / मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य है। यह रचना मूलतः संस्कृत में है और इसके रचनाकार विश्वनंद्याचार्य है। इस पूजा के अन्तर्गत चौबीस तीर्थंकरों, चौबीस तीर्थंकर की माताओं, चौबीस यक्षों और चौबीस यक्षिणीयों की पूजा की जाती है। ये कुल ६६ होते हैं। इन्हें क्षेत्रपाल भी कहा गया है। इसमें छयानवें क्षेत्रपालों का पूजाविधान विधिवत् दिया गया है। ' जयादिदेवतार्चनविधान इसमें जयादि देवताओं की पूजा विधि का उल्लेख हुआ है इसके रचनाकर्त्ता, रचनाकाल आदि की हमें जानकारी प्राप्त नहीं हुई है । जिनपूजाविधिसंग्रह २ इस कृति के नाम से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि इसमें जिनबिम्ब की पूजा विधियों का संकलन हुआ है। इस सम्बन्ध में विशेष जानकारी नहीं मिली है। जिनपूजा-विधि संग्रह यह एक संकलित ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ का लेखन पं. कल्याणविजयजी गणि ने किया है। इसका सम्पादन कार्य पं. शोभाचन्द्र भारिल्ल ने किया है। यह कृति हिन्दी शैली में है। इसमें दिये गये उद्धृत पाठ प्राकृत - संस्कृत दोनों में हैं । जैसा कि कृति नाम से यह सूचित होता है कि जिन-जिन आगम ग्रन्थों, प्राचीन ग्रन्थों एवं अर्वाचीन ग्रन्थों में जिनबिम्ब की पूजा विधि का जो स्वरूप उपलब्ध हुआ है वह इसमें संग्रहीत किया गया है। इस कृति का अध्ययन करने से यह भी स्पष्ट होता है कि इसमें जिनपूजाविधि से सम्बन्धित ८२ ग्रन्थों के उद्धरण लिये गये हैं। इसके साथ ही इसमें जिनपूजा विषयक अन्य तत्त्व भी चर्चित हु हैं। यह कृति तीन परिच्छेदों में विभक्त है। उनमें निर्दिष्ट ग्रन्थों के आधार पर जो पूजाविधियाँ उद्धृत की गई हैं उनका नामनिर्देश इस प्रकार हैं - १. बृहत्कल्पसूत्रभाष्य में पूजाविधि २. निशीथसूत्रचूर्णि में जिनपूजाविधि ३. व्यवहार- सूत्रभाष्य में जिनपूजाविधि ४. राजप्रश्नीयसूत्र में जिनपूजाविधि ५. ज्ञातासूत्र में वर्णित जिनपूजा विधान ६. उमास्वातिकृत प्रशमरति प्रकरण का पूजा १ प्रका. श्री राजेन्द्र जी नन्हेलाल सेठ, मुंबई प्रतापगढ़ प्राप्तिस्थान, १२२ सुशीला एपार्टमेन्ट, एल. टी. रोड़, वजीरा नाका, बोरीवली, मुंबई २ जिनरत्नकोश पृ. १३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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