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________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/437 प्रसंगों के अवसर पर अष्टोत्तरीस्नात्रविधि करने का विशेष प्रचलन है।' अष्टाहिक व्रतोद्यापनपूजाविधि ___ इस नाम की तीन कृतियाँ मिलती हैं एक कृति मुनि शुभचन्द्र की है, दूसरी रत्ननन्दि की है और तीसरी अज्ञातकर्तृक है। इसमें अष्टाहिक उत्सव एवं उसके उद्यापन की पूजा विधि का उल्लेख हुआ है। इतनी बात कृति नाम से स्पष्ट हो जाती है। आदिनाथपूजा ___ यह कृति गुजराती पद्य में है। इसकी रचना अचलगच्छीय गुणसागरसूरी ने की है। इसमें आदिनाथ प्रभु की पंच कल्याणक पूजा एवं उसकी विधि का उल्लेख है। यह पूजा दश ढ़ालों में रची गई है। आवश्यकपूजासंग्रह __ यह पूजा-पद्धति से सबन्धित एक संकलित कृति है। यह दो भागों में विभक्त हिन्दी की पद्यत्मक रचना है। इसके प्रथम भाग में निम्न पूजाएँ वर्णित की गई हैं - १. श्री स्नात्र पूजा- देवचन्द्रजीकृत, २. श्री अष्टप्रकारी पूजा ३. श्री नवपद पूजादेवचन्द्रजीकृत ४. श्री पंचपरमेष्ठी पूजा- सुगुणचंद्रोपाध्यायकृत ५. श्री विंशतिस्थानक पूजा- जिनहर्षसूरिकृत ६. श्री पंचज्ञान पूजा- सुगुणचंद्रोपाध्यायकृत ७. श्री सतरहभेदी पूजा- उपाध्याय साधुकीर्तिगणिकृत ८. श्री बारहव्रत पूजापण्डित कपूरचन्दजीकृत ६. श्री सिद्धाचलनवाणुं पूजा- वाचक अमरसिन्धुरकृत १०. श्री पंचकल्याणक पूजा- श्री बालचन्द्रोपाध्यायकृत ११. श्री अन्तराय कर्मनिवारण पूजा- आचार्य कवीन्द्रसागरजी कृत इस कृति के द्वितीय भाग में वर्णित पूजाएँ उपाध्याय मणिप्रभसागरजी द्वारा रचित हैं। उनके नाम ये हैं - १. श्री वास्तुक पूजा २. श्री शांतिनाथ पंचकल्याणक पूजा ३. श्री नेमीनाथ पंचकल्याणक पूजा ४. श्री आदिनाथ पंचकल्याणक पूजा ५. श्री सतरहभेदी पूजा ६. श्री विंशतिस्थानक पूजा ७. श्री ब्रह्मचर्य पूजा ८. श्री द्वादशव्रत पूजा ' जिनरत्नकोश पृ. २० २ यह कृति श्री जैन साहित्य प्रकाशन समिति, कोलकाता से प्रकाशित है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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