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जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/429
अध्याय १० पूजा एवं प्रतिष्ठा सम्बन्धी विधि-विधानपरक साहित्य
अचलगच्छीय स्नात्रपूजादि संग्रह
___ यह रचना प्राचीन हिन्दी में है। इसमें गद्य और पद्य दोनों का सम्मिश्रण है। इस कृति में क्षमालाभजीकृत स्नात्रपूजा और ज्ञानसागरजीकृत द्विविध चौबीस तीर्थंकरों के स्तवन और रोहिणी, गणधर आदि लगभग सोलह प्रकार की तपविधियों का संकलन हैं। इसके साथ ही सूतक विचार, श्री पार्श्वनाथ प्रभु के १०८ नाम, गहूलियाँ आदि भी संग्रहित हैं। यह कृति अचलगच्छीय परम्परा से सम्बन्धित है।' अध्यात्मपूजासंग्रह
____ यह संग्रह कृति है। इसमें नित्य एवं पर्व आदि के दिनों में उपयोगी पच्चीस नवीन पूजाओं का संकलन हुआ है। ये पूजाएँ अधिकतर हिन्दी पद्य में हैं। उन पूजाओं के नाम ये हैं१. नित्यनियम पूजा २. श्री देवशास्त्रगुरु पूजा (१) ३. श्री देवशास्त्रगुरु पूजा (२) ४. श्री षोड़शकारण पूजा ५. तीस चौबीसी पूजा ६. श्री विद्यमान बीसतीर्थंकर पूजा ७. श्री चौबीसजिन पूजा ८. श्री जिन पूजा ६. श्री सिद्ध पूजा (पहली) १०. श्री सिद्ध पूजा (दूसरी) ११. श्री पंचपरमेष्ठी पूजा १२. भगवतीजिनवाणी पूजा १३. श्री बाहुबली जिन पूजा १४. श्री अकंपनादि सातशतकमुनि पूजा १५. श्री विष्णुकुमार मुनि पूजा १६. श्री अकृत्रिम जिन चैत्यालय पूजा १७. श्री पंचमेरु जिनचैत्यालय पूजा १८. श्री नंदीश्वर जिनचैत्यालय पूजा १६. श्री दशलक्षणधर्म पूजा २०. श्री रत्नत्रय पूजा २१. श्री सम्यक्दर्शन पूजा २२. श्री सम्यक्ज्ञान पूजा २३. श्री सम्यक्चारित्र पूजा २४. श्री क्षमावाणी पूजा २५. श्री पंचबालयति पूजा।
यह ग्रन्थ दिगम्बर परम्परा से सम्बन्धित है।
' यह निर्णयसागर प्रेस, मुंबई सन १८६७ में प्रकाशित हुई है। २ यह कृति वी.सं. २५०८, नेमीचन्द्र जैन परिवार ८, वीरनगर जैन कालोनी दिल्ली ने प्रकाशित की है।
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