________________
जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास / 215
दशवैकालिक - सूत्र के सातवें दिन की विधि - ७ . १ दशवैकालिक श्रुतस्कंध के सातवें अध्ययन की उद्देश विधि, समुद्देश विधि, वाचना विधि, अनुज्ञा विधि और प्रवेदन विधि ८. दशवैकालिक सूत्र के आठवें दिन की विधि - ८. १ दशवैकालिक श्रुतस्कंध के आठवें अध्ययन की उद्देश विधि, समुद्देश विधि, वाचना विधि, अनुज्ञाविधि और प्रवेदन विधि । ६. दशवैकालिकसूत्र के नौवें दिन की विधि - ६.१ दशवैकालिक श्रुतस्कंध के नवमें अध्ययन की उद्देश विधि नवमें अध्ययन के प्रथम उद्देशक की उद्देश विधि, द्वितीय उद्देशक की उद्देश विधि, प्रथम द्वितीय उद्देशक की समुद्देश विधि, वाचना विधि, प्रथम द्वितीय उद्देशक की अनुज्ञा विधि और प्रवेदन विधि । १०. दशवैकालिकसूत्र के दशवें दिन की विधि - १०. १ दशवैकालिक श्रुतस्कंध के नवमें अध्ययन के तृतीय उद्देशक की उद्देश विधि, नवमें अध्ययन की समुद्देश विधि, वाचना विधि, तृतीय - चतुर्थ उद्देशक की अनुज्ञा विधि, नवमें अध्ययन की अनुज्ञा विधि और प्रवेदन विधि । ११. दशवैकालिकसूत्र के ग्यारहवें दिन की विधि- ११.१ दशवैकालिक श्रुतस्कंध के दशवें अध्ययन की उद्देश विधि, समुदेश विधि, वाचना विधि, अनुज्ञा विधि और प्रवेदन विधि । १२. दशवैकालिकसूत्र के बारहवें दिन की विधि - १२. १ दशवैकालिक श्रुतस्कंध की प्रथम चूलिका की उद्देश विधि, समुद्देश विधि, वाचना विधि, अनुज्ञा विधि और प्रवेदन विधि । १३. दशवैकालिकसूत्र के तेरहवें दिन की विधि - १३. १ दशवैकालिक श्रुतस्कंध की द्वितीय चूलिका की उद्देश विधि, समुद्देश विधि, वाचना विधि, अनुज्ञा विधि और प्रवेदन विधि। १४. दशवैकालिकसूत्र के चौदहवें दिन की विधि - १४. १ दशवैकालिक श्रुतस्कंध की समुद्देश विधि, वाचना विधि और प्रवेदन विधि । १५. दशवैकालिकसूत्र के पन्द्रहवें दिन की विधि - १५.१ दशवैकालिक श्रुतस्कन्ध की अनुज्ञा नंदी की विधि, श्रुतस्कंध की अनुज्ञा विधि एवं प्रवेदन विधि | १६. दशवैकालिकसूत्र की पाली प्रवेदन विधि | ६. मंडली योग विधि - मंडली योग करते समय प्रतिदिन करने योग्य एवं सन्ध्या के समय करने योग्य क्रिया विधि १०. आवश्यकसूत्र के योग से बाहर निकलने की विधि ११. दशवैकालिकसूत्र के योग से बाहर निकलने की विधि १२. पाली परिवर्तन ( तप परिवर्तन) की विधि
इसमें आवश्यकसूत्रयोग, दशवैकालिकसूत्रयोग एवं मांडलीयोग सम्बन्धी यंत्र ( कोष्ठक) भी दिये गये हैं । प्रस्तुत कृति का अवलोकन करने से निःसन्देह स्पष्ट होता है कि यह दीक्षा विधि की बहुउपयोगी रचना है । '
,
यह कृति श्री अमृत - हिम्मत - शान्तिविमलजी जैन ग्रन्थमालावती श्री जसवंतलाल गिरधरलाल शाह कुबेरनगर, अहमदाबाद, वि. सं. २०१८ से प्रकाशित है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org