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________________ अप्रतिम कार्य साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है। किसी भी धर्म, समाज,देश या परम्परा का भलीभाँति ज्ञान अर्जित करने के लिए उसके साहित्य का पर्यावलोकन परम अपेक्षित है। जो धर्मसंघ जितना विकसित, पल्लवित व पुष्पित होता है उसका साहित्य भी उतना ही उन्नत व समृद्ध होता है। जैन धर्म सम्बन्धी विधि-विधानों का इतिहास शोध की दृष्टि से भले ही परवर्ती हो, किन्तु कार्य की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है। श्रुतधरों व पूर्वाचार्यों द्वारा प्रणीत ये विधि-विधान न केवल आध्यात्मिक जगत् की प्रविष्टि का मार्ग ही प्रस्तुत करते हैं, अपितु व्यावहारिक जगत् को न्याय-नीति, संयम-सदाचार से आप्लावित कर शाश्वत सुख की ओर अग्रसर करते हैं। साध्वी सौम्यगुणाजी का अध्ययन-लेखन के प्रति विशेष लगाव है। वह श्रमशील व संकल्पनिष्ठ साध्वी है और श्रम करती अघाती नहीं है, बल्कि कठिनाईयों का पार पाती हुई आगे बढ़ती रहती है। विगत कुछ वर्षों से जैन धर्म के महत्त्वपूर्ण एवं अब तक अनछुये विषय का तलस्पर्शी अध्ययन कर रही हैं। इस प्रज्ञाशील साध्वी के माध्यम से कुछ ऐसे अपूर्व ग्रन्थ निर्मित होने की संभावनाएँ हैं जो युग-युगान्तर तक शोधार्थियों, जिज्ञासु पाठकों एवं विद्वत् वर्ग के लिए लाभकारी व उपयोगी सिद्ध हो सकेंगे। यह इस दिशा में किये गये प्रयत्न का प्रथम चरण(खण्ड) है। जहाँ तक मुझे जानकारी है इसमें विधि-विधान विषयक समूचे साहित्य का अवगाहन कर उसको विषयवार वर्गीकृत किया गया है, जिसके माध्यम से अनेकों शोध विद्यार्थी आसानी से रिसर्च कर सकेंगे। साध्वी सौम्यगुणाजी ने बड़े परिश्रम एवं अनुसंधान के साथ इस खण्ड को पूरा किया है। इस कार्य सम्पादन का सम्पूर्ण श्रेय डॉ.सागरमलजी जैन को जाता है, जिन्होंने पूर्ण निष्ठा व शासन लाभ को दृष्टि में रखते हुए इस कलेवर को तैयार करने-करवाने का दिशा-निर्देश दिया। साध्वी सौम्याजी इस दिशा में उत्तरोत्तर प्रयत्नरत रहें, यही अन्तरंग हृदय की शुभ भावना है। - आषाढशुक्लाएकादशी सूरत आर्या शशिप्रभाश्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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