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________________ 206 / संस्कार एवं व्रतारोपण सम्बन्धी साहित्य उपधान-विधि तथा पोसह - विधि यह कृति' गुजराती गद्य में निबद्ध है। इसका संपादन पं. कंचनविजय गणि ने किया है। प्रकाशन की दृष्टि से यह पुस्तक अवश्य ही अर्वाचीन है वस्तुतः ये विधान शास्त्रसम्मत एवं तीर्थंकरोपदिष्ट हैं। उपधान एवं पौषध सम्बन्धी अनेक कृतियाँ मेरे देखने में आई हैं किन्तु इन विधियों का क्रमिक एवं विस्तृत स्वरूप जो यहाँ वर्णित हैं वह अन्यत्र दुर्लभ प्रायः है। इसमें उल्लिखित कुछेक विधान तो तत्सम्बन्धी ग्रन्थों में समतुल्य ही है। दूसरी बात आधुनिक आराधकों के बोध के लिए यह कृति अधिक लाभदायी प्रतीत होती है। इसकी विषय वस्तु अवश्यमेव ही पठनीय हैं। हम विषय वस्तु का नाम निर्देश मात्र कर रहे हैं वह इस प्रकार है (क) उपधान विधि की विषयवस्तु १. उपधान अर्थात् क्या? २. उपधान शब्द का अर्थ ३. उपधान करने की आवश्यकता ४. उपधान के पयार्यवाची नाम दिवस, तप आदि ५. उपधान तप के एकाशन में ग्रहण करने योग्य भोज्य पदार्थ ६. उपधान की वाचनाएँ ७. उपधान प्रवेश विधि एवं प्रभातकालीन विधि ८ सन्ध्याकालीन अनुष्ठान विधि ६. प्रतिदिन करने योग्य क्रिया विधि १०. कायोत्सर्ग विधि ११. खमासमण विधि १२. स्वाध्याय ध्यान विधि १३. पुरुषों के रखने योग्य उपकरण १४. स्त्रियों के रखने योग्य उपकरण १५. वाचना - ग्रहण करने की विधि १६. आलोचना में दिन किन कारणों से गिरते हैं? १७ उपधान में आलोचना किन कारणों से आती हैं? १८. मालापरिधान विधि १६. आलोचना ग्रहण विधि २०. उपधान सम्बन्धी विशेष ज्ञान बिन्दू २१. देववंदन विधि २२. छः घडी दिन का भाग बीतने पर पोरिसी पढाने की विधि २३. रात्रिक मुहपत्ति प्रतिलेखन विधि २४ प्रत्याख्यान विधि २५. पौषध - ग्रहण विधि २६. सन्ध्याकालीन प्रतिलेखन विधि २७. चौबीस मांडला विधि २८. संथारा पोरिसी विधि २६. स्थंडिल गमन विधि ३०. पौषध पारण विधि ३१. उपधान में कम्बली ओढने का काल - अचित्त पानी का काल ३२. जिनमंदिर- दर्शन गमन विधि ३३. सामायिक में वर्जन करने योग्य बत्तीस दोष ३४. कायोत्सर्ग में वर्जन करने योग्य उन्नीस दोष ३५ तप चिंतन कायोत्सर्ग विधि इत्यादि । पौषध विधि की विषयवस्तु प्रायः उपधान और पौषध में की जाने वाली क्रियाएँ समान ही होती हैं क्योंकि उपधान - पौषध पूर्वक ही होता है तथापि इसमें पौषध सम्बन्धी कई 9 यह वि.सं. २००५ में, धीरजलाल प्रभुदास वेलाणी, भावनगर से प्रकाशित है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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