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200 / संस्कार एवं व्रतारोपण सम्बन्धी साहित्य
विवेचन किया गया है। उसके बाद १. आलोचना २. प्रतिक्रमण ३. तदुभय ४. विवेक ५. कायोत्सर्ग ६. तप ७. छेद ८. मूल ६. अनवस्थाप्य और १०. पारांचित इन दस प्रकार के प्रारचित्तों का वर्णन किया गया है।
तदनन्तर जीतकल्प, श्रावकजीतकल्प, लघुजीतकल्प एवं व्यवहारजीतकल्प के अनुसार मुनि और श्रावक के द्वारा किये जाने वाले अपराध स्थानों की अपेक्षा कौनसा प्रायश्चित्त कितना दिया जाना चाहिये, उस विधि का प्रतिपादन किया गया है। इसके साथ ही प्रकीर्ण - प्रायश्चित्त और भाव प्रायश्चित्त बताये गये हैं। उसके बाद स्नान के योग्य अर्थात् स्नान करने से जिन पापों की शुद्धि होती हैं ऐसे प्रायश्चित्तों का तप के योग्य प्रायश्चित्तों का, दान के योग्य प्रायश्चित्तों का और विशोधन के योग्य प्रायिश्चित्तों का स्वरूप उल्लिखित किया गया है। अन्त में प्रायश्चित्त सम्बन्धी कोष्ठक दिये गये हैं।
६. आवश्यक विधि- यह अधिकार सामायिक, चतुर्विंशतिस्तव, वंदन, प्रतिक्रमण, कायोत्सर्ग एवं प्रत्याख्यान इन छह आवश्यक विधियों से सम्बन्धित है। इस अधिकार में मुख्य रूप से छः आवश्यकों का विस्तृत वर्णन किया गया है। हम उन विषयों का विशेष प्रतिपादन न करते हुए मात्र संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत करेंगे
इसमें आवश्यक विधि की चर्चा करने से पूर्व १. जीतकल्प सम्बन्धी २. त्रयोदश क्रम से कोष सम्बन्धी ३. निरपेक्ष कृतादि सम्बन्धी ४. ऋतुपरत्व दान सम्बन्धी यन्त्र एवं कोष्ठक दिये गये हैं। उसके पश्चात् षट्- आवश्यक विधि के अन्तर्गत प्रत्येक में अग्रलिखित विषयों पर प्रकाश डाला गया है। सर्वप्रथम चार प्रकार के स्वाध्याय का स्वरूप बताया गया है
सामायिक आवश्यक - इस प्रथम आवश्यक में सामायिक विधि का विवेचन हुआ है इसके साथ पौषध विधि भी कही गई है। राजादि के द्वारा की जाने वाली आवश्यक विधि भी बतायी गई हैं।
चतुर्विंशतिस्तव आवश्यक - इस दूसरे आवश्यक में चतुर्विंशतिस्तवसूत्र, चैत्यस्तवसूत्र, श्रुतस्तवसूत्र, सिद्धस्तवसूत्र, महावीरस्तवसूत्र इत्यादि की व्याख्या की गई हैं।
वन्दन आवश्यक - इस आवश्यक के अन्तर्गत वन्दन के १६८ प्रकारों पर विचार किया गया है वे प्रकार इस तरह ज्ञातव्य हैं- मुखवस्त्रिका प्रतिलेखन के पच्चीस प्रकार, शरीर प्रतिलेखना के पच्चीस प्रकार, वन्दन के पच्चीस आवश्यक, वन्दन के छः स्थान, गुरु के छः वचन, वन्दन से होने वाले छः लाभ, वन्दन के योग्य पाँच व्यक्ति, वन्दन के लिए अयोग्य पाँच प्रकार के व्यक्ति, वन्दन सम्बन्धी पाँच उदाहरण, एक अवग्रह, पाँच प्रकार के अभिधान, पाँच प्रकार के प्रतिषेध, गुरु की
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