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________________ 140/षडावश्यक सम्बन्धी साहित्य अनुयोग और अननुयोग का निक्षेप विधि से वर्णन किया है।' व्याख्यानविधि के निरूपण में आचार्य और शिष्य की योग्यता का मापदण्ड बताया है। सामायिक व्याख्यान की विधि के रूप में २६ अधिकारों की चर्चा की गई हैं। पुनः इन अधिकार विधियों का उल्लेख करते हुए भगवान आदिनाथ का जीवन चरित्र, भगवान महावीर का जीवन चरित्र एवं नमस्कार मन्त्र का विस्तृत विवेचन किया है। उसके बाद सामायिक किस प्रकार करनी चाहिए? सामायिक का लाभ कैसे होता है? सामायिक का उद्देश्य क्या है? सामायिक के पर्यायवाची शब्द इत्यादि तथ्यों का प्रतिपादन किया गया है। चतुर्विंशतिस्तव नामक द्वितीय अध्ययन में चतुर्विंश और स्तव शब्द के अर्थ का छ: प्रकार से और चार प्रकार से निक्षेप किया गया है। इस सम्बन्ध में द्रव्यस्तव और भावस्तव का भी वर्णन हुआ है। चतुर्विंशतिस्तव अर्थात् लोगस्ससूत्र के प्रत्येक पदों की निक्षेप पद्धति से व्याख्या की गई है। वन्दन नामक तृतीय अध्ययन में वन्दना के पर्याय और वन्दना के नौ द्वारों का विवेचन हुआ है १. वन्दना किसे करनी चाहिए, २. वन्दना किसके द्वारा की जानी चाहिए, ३. वन्दना कब करनी चाहिए, ४. वन्दना कितनी बार करनी चाहिये, ५. वन्दना करते समय कितनी बार झुकना चाहिए, ६. कितनी बार सिर झुकाना चाहिए, ७. कितने आवश्यक से शुद्ध होना चाहिए, ८. कितने दोषों से मुक्त होना चाहिये, ६. वन्दना किसलिए करनी चाहिए? इन विषयों का अत्यन्त विस्तार के साथ निरूपण हुआ है। प्रतिक्रमण नामक चतुर्थ अध्ययन में प्रतिक्रमण का तीन दृष्टियों क्रिया, कर्ता एवं कर्म से विचार किया गया है। प्रतिक्रमण के ८ पयार्यवाची शब्दों को सोदाहरण स्पष्ट किया है। शुद्धि की विधि कही गई है। प्रतिक्रमण के दैवसिक, रात्रिक, पाक्षिक आदि अनेक प्रकार बताये गये हैं। इसके साथ ही अस्वाध्याय के प्रकार कहे गये हैं। स्वाध्याय के लिए कौन सा देश और कौनसा काल उपयुक्त है, गुरू आदि के समक्ष किस प्रकार स्वाध्याय करना चाहिए, आदि का वर्णन किया गया है। कायोत्सर्ग नामक पंचम अध्ययन में दस प्रकार के प्रायश्चित्त विधान का . N ' आवश्यकनियुक्ति गा. १३२-१३४ वही गा. १०२३-३४ ३ वही गा. १०३५ वही गा. १२३६ ५ वही गा. १२३८ K Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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