SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/127 दैनिक आवश्यक क्रियाओं (प्रतिलेखन-प्रमार्जन-स्थंडिल- राईयसंथारा आदि) में कहे जाने वाले सभी सूत्रों का अर्थ सहित विवेचन किया गया है। उस परम्परा के श्रमण साधकों के लिए यह पुस्तक परम उपयोगी है। इस पुस्तक में अग्रलिखित विधियों सार्थ दी गई है - १. प्रतिक्रमण सामाचारी २. गुरुवंदन विधि ३. चैत्यवंदन विधि ४. दैवसिक प्रतिक्रमण विधि ५. चौवीशमांडला विधि ६. चार स्तुति पूर्वक देववंदन करने की विधि ७. रात्रिक प्रतिक्रमण विधि ६. पाक्षिक प्रतिक्रमण विधि ६. चातुर्मासिक प्रतिक्रमण विधि १०. सांवत्सरिक प्रतिक्रमण विधि ११. रात्रिकसंथारा पोरिसी विधि १२. स्थापनाचार्य प्रतिलेखन विधि १३. उघाड़ापोरिसी विधि १४. पात्रोपकरण प्रतिलेखन विधि १५. आहार ग्रहण करने के लिए भ्रमण करने की विधि १६. आहार में लगे हुए दोषों की आलोचना करने की विधि १७. प्रत्याख्यान पूर्ण करने की विधि १८. मुनि द्वारा आहार करने की विधि १६. स्थंडिल गमन विधि २०. लघुनीति के लिए गमन करने की विधि २१. दिवस के चतुर्थ प्रहर की प्रतिलेखन विधि २२. छींक दोष का निवारण विधि २३. मुनि द्वारा बारह महिना कायोत्सर्ग करने की विधि २४. लोच विधि २५. साधु की मृत्यु होने पर उस समय करने योग्य विधि २६. उल्टी रीति से देववंदन करने की विधि २७. सीधी रीति से देववंदन करने की विधि २८. मृतक साध्वी को वस्त्र पहनाने की विधि २६. गुरु साथ में पाक्षिक, चातुर्मासिक एवं सांवत्सरिक प्रतिक्रमण न किये हुए साधु-साध्वी के द्वारा उस-उस प्रतिक्रमण संबंधी गुरु वंदन की विधि आगे 'प्रत्याख्यान संग्रह" दिया गया है जिनमें सभी प्रकार के प्रत्याख्यान करवाने की विधि, साधु एवं श्रावक द्वारा प्रत्याख्यान पारने की विधि, श्रावक की सामायिकविधि, पौषधविधि एवं देशावगासिकविधि इत्यादि का उल्लेख है। अन्त में 'सज्झाय संग्रह' के नाम से नंदीसूत्र, दशवैकालिकनियुक्ति, आदि के मूल पाठ दिये गये हैं साथ ही नवस्मरण के पाठ (सूत्र) एवं अन्य स्तुतियाँ भी दी गई हैं। ' यह पुस्तक 'श्री अचलगच्छ जैन संघ, अहमदाबाद' से प्रकाशित है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy