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120 / साध्वाचार सम्बन्धी साहित्य
वस्त्र
बोलने अथवा स्वाध्याय करने का निषेध ५. प्राभातिक कालग्रहण विधि ६. प्रभातकालीन प्रतिक्रमण का समय ७. प्रभातकालीन प्रतिक्रमण की विधि ८. छहमासिक तप चिन्तन विधि ६. प्रत्याख्यान के दस प्रकारों का स्वरूप १०. काल सम्बन्धी दस प्रकार के प्रत्याख्यानों का वर्णन ११. प्रत्याख्यान करने के १४७ विकल्प (भंग) १२. प्रत्याख्यान की शुद्धि १३. संकेत प्रत्याख्यान का स्वरूप १४. प्रतिलेखना करने योग्य उपकरण, उनकी प्रतिलेखना का क्रम एवं प्रतिलेखना विधि १५. वाचनाचार्य का स्वरूप १६. आचार्य का स्वरूप १७. बाईस परीषह का स्वरूप १८. प्रतिलेखन करने का यन्त्र १६. बहुपडिपुन्ना पोरिसी अर्थात् दिन के तृतीयप्रहर में करने योग्य कार्यो की विधि २०. पडले अर्थात् पात्रढ़कने आदि का स्वरूप एवं उसकी प्रतिलेखना विधि २१. अर्थ वाचना विधि एवं उसका फल २२. वर्षाऋतु में रखने योग्य आसनों का परिमाण २३. अनुयोग विधि २४. चैत्य के पाँच प्रकार, चैत्यवन्दन करने के सात कारण, और चैत्यवंदन के तीन प्रकार २५. भिक्षाटन विधि २६. दस प्रकार की सामाचारी २७. आहार सम्बन्धी १६ उद्गमदोष, १६ उत्पादनदोष, एवं १० एषणादोष एवं पिण्ड शब्द की व्याख्या २८. आहार ले आने के बाद की विधि २६. संयोजना सम्बन्धी पाँच दोष ३०. आहार करने के छः कारण एवं आहार न करने के छः कारण ३१. आहार करने की विधि ३२. पात्र प्रक्षालित करने की विधि ३३. स्थंडिल गमन एवं उसके बाद शुद्धि करने की विधि ३४. तृतीयप्रहर की प्रतिलेखना विधि ३५. साध्वी के पच्चीस एवं साधु के चौदह उपकरणों का स्वरूप ३६ औधिक और औपग्रहिक उपधि का स्वरूप ३७. पाँच प्रकार के दंड का स्वरूप ३८. स्थंडिल को प्रतिलेखित करने की विधि ३६. गोचरी में लगे हुए दोषों का प्रतिक्रमण करने की विधि ४०. दैवसिक प्रतिक्रमण विधि ४१. पाक्षिक, चातुर्मासिक एवं सांवत्सरिक प्रतिक्रमण विधि ४२. रात्रिसंस्तारक ( शयन) विधि ४३. शाश्वत चैत्यों को वन्दन करने की विधि ४४. शाश्वत नाम वाले चार तीर्थंकरों, बीस विहारमानों एवं भरत, बाहुबलि, दशार्णभद्र, गजसुकुमाल आदि को वन्दन करने की विधि ४५ . आलोचना ( मिथ्यादुष्कृत) करने की विधि इत्यादि ।
टीका - इस ग्रन्थ पर मतिसागरसूरि द्वारा संस्कृत में संक्षिप्त व्याख्या ( अवचूरि ) लिखी गई है। यह ३५०० श्लोक परिमाण है। इस टीका के प्रारम्भ में चार श्लोक है, अवशिष्ट सम्पूर्ण टीका गद्य में है। इस टीका में कुछ अन्य ग्रन्थ के अवतरण भी दिये गये हैं।
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