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________________ मालेगांव दादाबाडी का अद्भुत इतिहास मालेगांव नगर महाराष्ट्र प्रान्त के नासिक जिल्हे में 'पावरलुममण्डी' के नाम से सुविख्यात है। सन् 1980 की बात -मरूधर प्रदेशान्तर्गत बाडमेर नगर के युवावर्ग का व्यावसायिक दृष्टिकोण से यहाँ आना प्रारंभ हुआ तथा करोबार की सफलताओं ने इस क्रम को प्रवर्द्धमान रखा । अपनी जन्मभूमि छोड़कर इस कर्मभूमि में आने के उपरान्त भी पूर्व संस्कारों के फलस्वरूप देव-गुरु-धर्म के प्रति हम लोगों की आस्थाएँ और भक्ति भावनाएँ उत्तरोत्तर वृद्धिगत होती रही तथा स्थानीय गुजराती एवं गोडवाली संघ के साथ धार्मिक आराधनाओं को लेकर निरन्तर जुड़ाव बढ़ता रहा । सन् 1988-89 के स्वर्णिम पल! पूज्या महत्तरा मनोहर श्रीजी म.सा. की सुशिष्याएँ तरूणप्रभा श्रीजी आदि ठाणा 3 का विचरण करते हुए इधर आना हुआ, तब अधिकृत स्थान की महती आवश्यकता का अहसास हुआ। उस समय जिनालय दादाबाड़ी निर्माण की पृष्ठभूमि का भी विचारोदय हुआ । श्री संघ के लिए सुखद संयोग की बात - सन् 1990 में मरूधरजयोति साध्वी मणिप्रभाश्रीजी म.सा. का वर्षावास मालेगांव के समीपस्थ (50 कि.मी. दूर ) धुलिया नगरी में था । बाडमेर युवाओं का श्री संघ उनके दर्शनार्थ पहुँचा । हमारी आग्रहपूर्ण विनंती एवं उल्लास भाव को देख वर्षावास सम्पन्न कर आर्या श्री मालेगांव की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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