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________________ आचारदिनकर (खण्ड-४) 383 प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि दी जाने वाली शिक्षा कर्माधिकारियों के सदृश ही है। पदारोपणाधिकार में महाशूद्र एवं कारूओं के पदारोपण की यह विधि बताई गई है। पशुओं के पदारोपण की विधि - पशुओं के पदारोपण की विधि इस प्रकार है - हस्ति, अश्व, वृषभ आदि में जो मुख्य, प्रधान, श्रेष्ठ होते हैं, वे ही पद को प्राप्त करते हैं। पंचगव्य, तीर्थोदक, गन्धोदक से स्नान किए हुए, प्रशस्त वस्त्र से आच्छादित, यक्षकर्दम, पुष्पमाला आदि से पूजित उन पशुओं को गुरु के आगे खड़े करे। गुरु प्रतिष्ठा-विधि में कहे गए अनुसार अधिवासना- मंत्र से उन्हें अधिवासित करे। तत्पश्चात् नृपादि उनकी सम्यक् प्रकार से पूजा करके उस पर आरूढ़ हो। - पदारोपण-अधिकार में पशुओं के पदारोपण की यह विधि बताई गई है। संघपति-पदारोपण-विधि - चारों ही वर्गों में प्रशस्त, तीर्थकर नामकर्म का अनुबन्ध कराने वाली, भोग एवं मोक्ष को प्रदान करने वाली, सर्व वांछित फल को देने वाली, चक्रवर्ती-पद से भी उत्कृष्ट संघपति-पदारोपण की विधि इस प्रकार है - सर्व ऋद्धि सम्पन्न, गृहस्थ के विशिष्ट गुणों एवं श्रावक के गुणों से युक्त, विशुद्ध भावनाओं से वासित, सम्पत्तिवान्, चतुर्विध संघ से मिलनसार, क्रोध, मान, माया एवं लोभ से रहित, देव एवं गुरु की भक्ति करने वाला पुरुष अनादितीर्थों या कल्पादि तीर्थों की यात्रापूर्वक संघपति-पद को प्राप्त करता है, उसकी विधि यह है - विवाह, दीक्षा, प्रतिष्ठा आदि के समान ही प्रस्थान योग्य नक्षत्रों में वर्ष, मास, दिन, लग्न आदि की शुद्धि देखकर - संघपति-पद के आरोपण के योग्य नक्षत्र में पदारोपण करके प्रस्थान योग्य नक्षत्र में संघ-प्रस्थान की क्रिया की जाए। सर्वप्रथम उसके गृह में शान्तिक एवं पौष्टिककर्म करे। तत्पश्चात् लग्नवेला के आने पर, महावाद्यों के बजाए जाने पर, महादान दिए जाने पर, मंगलगीत गाए जाने पर, बन्दीजनों एवं चारणों द्वारा विरुदावली बोले जाने पर चतुर्विध संघ के समक्ष यति गुरु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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