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________________ आचारदिनकर (खण्ड- ४) 369 प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि द्वारा संहिता, पदक्रमादि द्वारा क्रमपूर्वक चारों वेद पढ़े जाने चाहिए, आवश्यक - सिद्धान्त में इस प्रकार कहा गया है । इस प्रकार पदारोपण - अधिकार में ब्राह्मण - पदारोपण की यह विधि सम्पूर्ण होती है । क्षत्रिय - पदारोपण - विधि अब क्षत्रियों के पदारोपण की विधि बताते हैं । इसमें निम्न आठ प्रकार के पद होते हैं - - ४. १. राजपद २. सामन्तपद ३. मण्डलेश्वरपद देशमण्डलाधिपति ५. ग्रामाधिपति ६. मंत्रीपद ७. सेनापतिपद एवं कर्माधिकारीपद । यहाँ सर्वप्रथम राजपद के पदारोपण की विधि बताते हैं नृपति के योग्य क्षत्रिय के लक्षण क्षमावान् हो, विशुद्ध क्षत्रिय कुल में जन्मा हुआ हो, क्रम से राज्य का अधिकार रखने वाला हो, सम्पूर्ण अंगोपांग वाला हो, दाता हो, धैर्यवान् हो, बुद्धिशाली हो, शूरवीर हो, कृतज्ञ हो, अठारह प्रकार की विद्याओं में प्रवीण हो, स्नेहशील हो, यशस्वी एवं प्रतापी (पराक्रमी) हो, देव एवं गुरु की भक्ति करने वाला हो, दृढ़ संकल्पी हो, न्यायप्रिय हो, स्वयं की एवं दूसरे की अपेक्षा न रखने वाला हो, ईमानदार हो, गुणग्राही हो, परनिंदा का वर्जन करने वाला हो, गहन न्याय - दृष्टिवाला हो, दूसरे के चित्त को जानने वाला हो, स्वभाव से अल्पभाषी हो, गम्भीर हो, विद्वत्प्रिय हो, दृढ़ प्रतिज्ञावान् हो, धर्मात्मा हो, सर्व व्यसनों का वर्जन करने वाला हो, स्वाभिमानी हो, विनीत हो, मधुरभाषी हो, विवेकवान् हो, दान एवं दण्ड में सर्वत्र औचित्यपूर्ण व्यवस्था रखने वाला हो, चारों उपायों के प्रयोग में देशकाल का ध्यान रखने वाला हो, राज्य के सात अंग, छः गुण एवं तीन शक्तियों का ज्ञाता हो, वृद्धजनों की सेवा करने वाला हो, पिता के समान लोक - परिपालन करने वाला हो, प्रमाद से रहित हो, गृहादि की सदैव सुरक्षा करने वाला हो, सर्वदर्शनों को समान दृष्टि से देखने वाला हो तथा सर्वलिंगियों की समान भक्ति करने वाला हो, रूपवान् , निष्कपटी हो, लज्जावान् हो, सौम्य हो, स्थान-स्थान पर अपने For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ८. Jain Education International -
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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