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आचारदिनकर (खण्ड- ४ )
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प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि
इस तप के उद्यापन में उत्तम धातुओं की अम्बादेवी की मूर्ति बनवाकर उसकी स्थापना करे । “कल्प" में कहे गए अनुसार हमेशा उसकी पूजा करे। साधर्मिकवात्सल्य एवं संघपूजा करे । इस तप को करने से अंबादेवी से वरदान प्राप्त होता
का
है । यह श्रावकों को करने आगाढ़-तप है। इस तप के यंत्र का न्यास इस प्रकार है
७३. श्रुतदेवता - तप
इस तप के उद्यापन में श्रुतदेवी की मूर्ति बनवाकर उसकी प्रतिष्ठा करे तथा विधिपूर्वक पूजा करे । साधर्मिकवात्सल्य एवं संघपूजा करे । इस तप के करने से श्रुत की प्राप्ति होती है । यह तप श्रावक के करने योग्य आगाढ़ - तप है । इस तप के यंत्र का न्यास इस प्रकार है
७४. रोहिणी - तप
अम्बा तप आगाढ मास-५
अब श्रुतदेवता - तप की विधि बताते हैं। "एकादशेषु शुक्लेषु पक्षेष्वेकादशेषु च ।
यथाशक्ति तपः कार्यं वाग्देव्यर्चनपूर्वकं । । १ । । “ श्रुतदेवता की आराधना के लिए जो तप किया जाता है, उसे श्रुतदेवता - तप कहते हैं । इसमें ग्यारह शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन श्रुतदेवी की पूजा तथा यथा-शक्ति तप करे ।
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शुक्ल पंचमी उपवास
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श्रुतदेवता-तप, आगाढ़
अब रोहिणी - तप की विधि बताते हैं
" रोहिण्यां च तपः कार्यं वासुपूज्यार्चनायुतं ।
श्रुतदेवता शुक्ल एकादशी
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सप्तवर्षं सप्तमासीमुपवासादिभिः परम् ।।१।।“
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