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________________ आचारदिनकर (खण्ड- ४ ) 345 प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि इस तप के उद्यापन में उत्तम धातुओं की अम्बादेवी की मूर्ति बनवाकर उसकी स्थापना करे । “कल्प" में कहे गए अनुसार हमेशा उसकी पूजा करे। साधर्मिकवात्सल्य एवं संघपूजा करे । इस तप को करने से अंबादेवी से वरदान प्राप्त होता का है । यह श्रावकों को करने आगाढ़-तप है। इस तप के यंत्र का न्यास इस प्रकार है ७३. श्रुतदेवता - तप इस तप के उद्यापन में श्रुतदेवी की मूर्ति बनवाकर उसकी प्रतिष्ठा करे तथा विधिपूर्वक पूजा करे । साधर्मिकवात्सल्य एवं संघपूजा करे । इस तप के करने से श्रुत की प्राप्ति होती है । यह तप श्रावक के करने योग्य आगाढ़ - तप है । इस तप के यंत्र का न्यास इस प्रकार है ७४. रोहिणी - तप अम्बा तप आगाढ मास-५ अब श्रुतदेवता - तप की विधि बताते हैं। "एकादशेषु शुक्लेषु पक्षेष्वेकादशेषु च । यथाशक्ति तपः कार्यं वाग्देव्यर्चनपूर्वकं । । १ । । “ श्रुतदेवता की आराधना के लिए जो तप किया जाता है, उसे श्रुतदेवता - तप कहते हैं । इसमें ग्यारह शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन श्रुतदेवी की पूजा तथा यथा-शक्ति तप करे । - Jain Education International मास १ मास २ मास ३ मास ४ मास ५ शुक्ल पंचमी उपवास शुक्ल पंचमी उपवास शुक्ल पंचमी उपवास उपवास उपवास शुक्ल पंचमी शुक्ल पंचमी श्रुतदेवता-तप, आगाढ़ अब रोहिणी - तप की विधि बताते हैं " रोहिण्यां च तपः कार्यं वासुपूज्यार्चनायुतं । श्रुतदेवता शुक्ल एकादशी श्रुतदेवता श्रुतदेवता श्रुतदेवता श्रुतदेवता | श्रुतदेवता श्रुतदेवता For Private & Personal Use Only उपवास शुक्ल एकादशी उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास शुक्ल एकादशी श्रुतदेवता | शुक्ल एकादशी श्रुतदेवता शुक्ल एकादशी श्रुतदेवता शुक्ल एकादशी श्रुतदेवता शुक्ल एकादशी शुक्ल एकादशी शुक्ल एकादशी शुक्ल एकादशी शुक्ल एकादशी सप्तवर्षं सप्तमासीमुपवासादिभिः परम् ।।१।।“ उपवास उपवास उपवास www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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