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________________ आचारदिनकर (खण्ड- ४) प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि में लगे दोषों की आलोचना करते समय सभी जगह एक चतुर्विंशतिस्तव का कायोत्सर्ग करे तथा प्रायश्चित्त के विशोधन के लिए क्षुद्रोपद्रव के निवारण के लिए, चतुर्निकाय के देवों की आराधना के लिए, इष्ट अरिहंत देव को प्रणाम करने के लिए जो कायोत्सर्ग करते हैं, उसमें चार बार चतुर्विंशतिस्तव का " चंदेसुनिम्मलयरा." तक चिन्तन करे। उत्कृष्ट देववन्दन एवं श्रुतदेवता आदि के आराधन में संपूर्ण चतुर्विंशतिस्तव का कायोत्सर्ग करे, स्वाध्याय हेतु प्रस्थान करते समय किए जाने वाले कायोत्सर्ग में एक बार नमस्कारमंत्र का चिन्तन करे । प्रतिक्रमण - मध्य में किए जाने वाले कायोत्सर्गों का उन-उन स्थानों पर निर्देश दिया गया है और साधु अभिग्रहपूर्वक स्वेच्छा से जो कायोत्सर्ग करते हैं, उसमें अभिग्रह के अनुसार चतुर्विंशतिस्तव, अथवा नमस्कारमंत्र का कायोत्सर्ग करते हैं । सम्यक्त्वारोपण, नन्दी, योगोद्वहन, वाचना आदि में जो कायोत्सर्ग किए जाते हैं, उसमें एक बार चतुर्विंशतिस्तव का चिन्तन करते हैं । कायोत्सर्ग की यह विधि बताई गई है 255 प्रत्याख्यान अब प्रत्याख्यान- आवश्यक की विधि बताते हैं आवश्यक में दस प्रकार के प्रत्याख्यान बताए गए हैं। उनकी विधि ( योजना ) इस प्रकार है - नमस्कारसहित नवकारसी बियासना के प्रत्याख्यान “ उग्गए सूरे नवकारसहियं पच्चक्खाहि चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं विगइसेसिआओ पच्चक्खाहि अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, लेवालेवेणं गिहत्थसंसद्वेणं उक्खित्तविवेगेणं पडुच्चमक्खेणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं बिआसणं पच्चक्खामि दुविहंपि आहारं असणं खाइमं अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं सागारियागारेणं आउंटणपसारणेणं गुरुअब्भुट्ठाणेणं पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं द्रव्यसचित्तदेसावगासियं भोगं परिभोगं पच्चक्खामि अन्नत्थ ऽणाभोगेणं, सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ ।। " Jain Education International For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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