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________________ आचारदिनकर (खण्ड-४) 256 प्रायश्चित्स, आवश्यक एवं तपविधि (इस प्रकार इसमें नवकारसी' एवं बियासना - इन दो प्रत्याख्यानों की योजना की गई है।) पौरूषी एक प्रहर एवं एकासन (एकासन) के प्रत्याख्यान - “पोरसियं पच्चक्खामि उग्गए सूरे चउविहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं विगइसेसियाउ पच्चक्खामि अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं गिहत्थसंसटेणं उक्खित्तविवेगेणं पडुच्चमक्खिएणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं एकासन पच्चक्खामि तिविहपि आहारं असणं खाइमं साइमं अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं सागारियागारेणं आउंटणपसारेणं गुरु अब्भुट्ठाणेणं, पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्व समाहिवत्तियागारेणं द्रव्यसचित्त देसावगासियं भोगपरिभोगं पच्चक्खाहि अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि। इस प्रकार इसमें पौरुषी एवं एकासन के प्रत्याख्यान की योजना की गई है। सार्द्धपौरुषी (साढ पोरसी, अर्थात् डेढ़ प्रहर) एवं निर्विकृति (नीवि) के प्रत्याख्यान की विधि “साढपोरसहियं पच्चक्खामि उग्गए सूरे चउब्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं निविगइयं पच्चक्खामि अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं गिहत्थसंसटेणं, उक्खित्त विवेगेणं पडुच्चमक्खिएणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं एकासणं पच्चक्खामि तिविहंपि आहारं असणं खाइमं साइमं अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं सागारियागारेणं आउण्टणपसारेणं गुरुअब्भुट्ठाणेणं पारिट्ठावाणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं द्रव्य सचित्त देसावगासियं भोगं परिभोगं ___ ज्ञातव्य है कि नवकारसी के प्रत्याख्यान में सूर्योदय से एक मुहूर्त (४८ मिनिट) के लिए चारों आहार का त्याग होता हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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