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अाचारदिनकर (खण्ड-४)
225 प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि षष्ट कोष्टकत्रय - इसमें नौ भंग होते हैं - १. मन से न तो स्वयं करूंगा २. मन एवं काया से न स्वयं करूंगा ३. मन एवं वचन से न स्वयं करूंगा ४. वचन एवं काया से न स्वयं करूंगा ५. मन एवं काया से न दूसरों से करवाऊंगा ६. वचन एवं काया से न दूसरों से करवाऊंगा ७. मन एवं वचन से न करने वालों की अनुमोदना करूंगा ८. मन एवं काया से न करने वालों की अनुमोदना करूंगा एवं ६. वचन एवं काया से न करने वालों की अनुमोदना करूंगा।
सप्तम कोष्टकत्रय - इसमें तीन भंग होते हैं - १. मन से न तो स्वयं करूंगा, न दूसरों से करवाऊंगा और न ही करने वालों की अनुमोदना करूंगा २. वचन से न तो स्वयं करूंगा, न दूसरों से करवाऊंगा और न ही करने वालों की अनुमोदना करूंगा एवं ३. काया से न तो स्वयं करूंगा, न दूसरों से करवाऊंगा और न ही करने वालों की अनुमोदना करूंगा।
___अष्टम कोष्टकत्रय - इसमें नौ भंग होते हैं - १. मन से स्वयं करूंगा और दूसरों से करवाऊंगा २. मन से स्वयं करूंगा और करने वालों की अनुमोदना करूंगा ३. मन से दूसरों से करवाऊंगा और करने वालों की अनुमोदना करूंगा ४. वचन से स्वयं करूंगा और दूसरों से करवाऊंगा ५. वचन से स्वयं करूंगा और करने वालों की अनुमोदना करूंगा ६. वचन से दूसरों से करवाऊंगा और करने वालों की अनुमोदना करूंगा ७. काया से स्वयं करूंगा और करने वालों की अनुमोदना करूंगा ८. काया से स्वयं करूंगा और दूसरों से करवाऊंगा ६. काया से दूसरों से करवाऊंगा और करने वालों की अनुमोदना करूंगा।
नवम कोष्टकत्रय - इसमें भी नौ भंग होते हैं - १. मन से स्वयं करूंगा २. मन से दूसरों से करवाऊंगा ३. मन से करने वालों की अनुमोदना करूंगा ४. वचन से स्वयं करूंगा ५. वचन से दूसरों से करवाऊंगा ६. काया से स्वयं करूंगा ७. काया से दूसरों से करवाऊंगा एवं ८. काया से करने वालों की अनुमोदना करूंगा। इस प्रकार सर्व भंग मिलकर उनपचास भंग होते हैं, अर्थात् सर्व भंगों
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