SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आचारदिनकर (खण्ड-४) 118 प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि बीयभोयणाए - अन्न के मध्य रहे हुए सूक्ष्म बीजों से युक्त आहार को ग्रहण करना। हरियभोयणाएं - सूक्ष्म हरित, अर्थात् वनस्पति से मिश्रित भोजन को ग्रहण करना। पच्छाकम्मिआए - भिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् गृहस्थ द्वारा सचित्त जल आदि द्वारा हाथ, बर्तन आदि धोना। पुरेकम्मिआए - भिक्षा ग्रहण करने से पूर्व गृहस्थ द्वारा सचित्त जल आदि द्वारा हाथ, बर्तन आदि धोना। अदिट्ठहडाए - मुनि को जो वस्तु सामने दिखाई नहीं दे रही हो, ऐसी वस्तु को ग्रहण करना। अदृष्ट का तात्पर्य भित्ति के पीछे रखा हुआ या किसी वस्तु से ढका हुआ। ऐसी वस्तुओं को ग्रहण करना अदृष्ट दोष कहलाता है। ___ पारिसाडणिआए - भिक्षाग्रहण करते समय भोज्य आदि पदार्थ इधर-उधर या नीचे गिरता हो - इस प्रकार से आहार ग्रहण करना। पारिठावणिआए - यति द्वारा दूषित एवं खराब अन्न आदि का विधिपूर्वक परित्याग करना परिष्ठापनिका कहलाता है। शयन-अतिचार एवं भिक्षा-अतिचार का प्रतिक्रमण करने के बाद प्रतिलेखना आदि से सम्बन्धित अतिचारों का प्रतिक्रमण करें, वह इस प्रकार है - “पडिक्कमामि चाउक्कालं सज्झायस्स · अकरणयाए उभओकालं भंडोवगरणस्स अप्पडिलेहणाए, दुप्पडिलेहणाए, अप्पमज्जणाए, दुप्पमज्जणाए, अइक्कमे, वइक्कमे, अइयारे, अणायारे, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं।" भावार्थ - स्वाध्याय तथा प्रतिलेखना सम्बन्धी प्रतिक्रमण करता हूँ। यदि प्रमादवश दिन और रात्रि के प्रथम तथा अन्तिम प्रहररूप चार काल में स्वाध्याय न किया हो, प्रातः तथा संध्या- दोनों काल में वस्त्र-पात्र आदि भाण्डोपकरण की प्रतिलेखना न की हो, अच्छी तरह प्रतिलेखना न की हो, प्रमार्जना न की हो, अच्छी तरह प्रमार्जना न की हो, फलस्वरूप अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार और अनाचार सम्बन्धी जो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy