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________________ आचारदिनकर (खण्ड-४) 83 प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि अवग्रह होता है। अवग्रह में प्रवेश करने हेतु अनुज्ञा लेनी होती है। विहार में दक्षिणार्ध भरत के स्वामी इन्द्र की अनुमति से अवग्रह ग्राह्य होता है। विहार के समय किसी स्थान पर रुकना पड़े, तो उसके लिए राजा, पृथ्वीपति, देशपति, नगरपति, ग्रामपति की अनुज्ञा लेनी होती है। गृहपति के आवास में रुकना हो, तो गृहपति, सार्थपति, पुर-प्रमुख आदि की अनुज्ञा लेनी होती है। किसी सार्वजनिक उपाश्रय या आराधनागृह में रुकने के लिए सागारिक, अर्थात् श्रावकों की आज्ञा आवश्यक होती है। जिस स्थान पर ज्येष्ठ या कनिष्ठ साधु ठहरे हुए हों, वहाँ रुकने के लिए साधर्मिक, अर्थात् पूर्व में वहाँ स्थित मुनिजनों की आज्ञा लेनी होती है। वन्दन आदि सर्वकार्यों में गुरु का अवग्रहकाल की अपेक्षा से उनकी आयुष्यपर्यन्त तथा क्षेत्र की अपेक्षा चारों दिशाओं में गुरु के देह-परिमाण का अवग्रह होता है। यदि शिष्य की लम्बाई गुरु से अधिक हो, तो उसे अपने देह के परिमाणअनुसार, गुरु से दूर खड़े होना चाहिए। वन्दन के निम्न पाँच नाम हैं - १. वंदन २. चितिकर्म ३. कृतिकर्म ४. पूजाकर्म एवं ५. विनयकर्म । वंदन - प्रशस्त मन, वचन, काया द्वारा नमन करने को वन्दनकर्म कहते हैं। चितिकर्म - जिस क्रिया द्वारा सुकृत का संचय होता है, उसे चितिकर्म कहते हैं। कृतिकर्म - पुण्यक्रिया करने को कृतिकर्म कहते हैं। पूजाकर्म - पूजा की क्रिया को पूजाकर्म कहते हैं। विनयकर्म - विनय की प्रवृत्ति को विनयकर्म कहते हैं। इस प्रकार वंदन के ये पाँच नाम बताए गए हैं। वन्दन के पाँच प्रतिषेध स्थान निम्न हैं - जब गुरु १. व्यग्र (व्याक्षिप्त) हो, २. पराभूत हो ३. प्रमत्त हो ४. आहार कर रहे हों ५. मल-मूत्र का विसर्जन कर रहे हों या करने को तत्पर हों, तो उस समय गुरु को वन्दन नहीं करें। __ व्यग्र (व्याक्षिप्त) - गुरु पठन (अध्ययन), पाठन (अध्यापन) करते हों, उपधि-निर्माण में लगे हों, दूसरे से बातचीत कर रहे हों, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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