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44 / साध्वी श्री प्रियदिव्यांजनाश्री
भावनाद्वार और - ११. संलेखनाप्रतिद्वार- ऐसे ग्यारह द्वार बताए हैं। फिर संलेखना-प्रतिकृति में संलेखना के दो भेद-बाह्य और आभ्यन्तर का विस्तार से निरूपण किया गया है। द्वितीय गणसंक्रमणद्वार के दस प्रतिद्वारों का उल्लेख इस प्रकार है :
१. दिशाद्वार २. क्षमणाद्वार ३. अनुशिष्टिद्वार ४. परगणचर्याद्वार ५. सुस्थितगवेषणाद्वार ६. उपसम्पदाद्वार ७. परिज्ञाद्वार ८. प्रतिलेखनाद्वार ६. आपृच्छनाद्वार और
१०. प्रतीच्छाद्वार । तृतीय ममत्वव्युच्छेदद्वार में भी दस प्रतिद्वार हैं - १. आलोचनाद्वार २. गुणदोषद्वार ३. शय्याद्वार ४. संस्तारकद्वार ५. निर्यामकद्वार ६. दर्शनद्वार ७. हानिद्वार ८. प्रत्याख्यानद्वार ६. क्षामणाद्वार और १०. क्षमणाद्वार।
इसी क्रम में चतुर्थ समाधिलाभद्वार के आठ प्रतिद्वार इस प्रकार बताए गए हैं- १. अनुशिष्टिद्वार २. सारणाद्वार ३. कवचद्वार ४. समताद्वार ५. ध्यानद्वार ६. लेश्याद्वार ७. आराधनाफलद्वार और ८. विजहनाद्वार ।
संवेगरंगशाला एवं आराधनापताका-दोनों ही ग्रन्थों में इन ग्रन्थों की विषयवस्तु को सर्वप्रथम चार द्वारों में विभाजित किया गया है:-१. परिकर्मविधिद्वार २. परगणसंक्रमणद्वार ३. ममत्वविच्छेदद्वार और ४. समाधिलाभद्वार। इस प्रकार दोनों में चार द्वारों के नाम समान ही दिए गए हैं।
प्रथम परिकर्मविधि नामक मूलद्वार में अर्हताद्वार, लिंगद्वार, शिक्षाद्वार, विनयद्वार, समाधिद्वार, अनियतद्वार, परिणामद्वार, त्यागद्वार, निःश्रेणिद्वार, भावनाद्वार और संलेखनाद्वार-इन ग्यारह उपद्वारों के नामों में भी दोनों में समानता पाई जाती है। द्वितीय परगणसंक्रमण नामक मूलद्वार में दिशाद्वार, क्षमणाद्वार, अनुशिष्टिद्वार, परगणचर्याद्वार, सुस्थितगवेषणाद्वार, उपसम्पदाद्वार, प्रतिलेखनाद्वार, आपृच्छनाद्वार और प्रतीच्छाद्वार-इन नौ द्वारों के नाम भी दोनों में समान रूप से उपलब्ध होते हैं। इसी प्रकार तृतीय ममत्व-उच्छेद नामक मूलद्वार में आलोचनाद्वार, शय्याद्वार, संस्तारकद्वार, निर्यापकद्वार, दर्शनद्वार, हानिद्वार, प्रत्याख्यानद्वार, क्षामणाद्वार - इन नौ द्वारों के नामों में भी दोनों में समरूपता प्राप्त होती है, मात्र एक द्वार का नाम भिन्न है। चतुर्थ समाधिलाभ नामक मूलद्वार में अनुशिष्टिद्वार, सारणाद्वार, कवचद्वार, समताद्वार, ध्यानद्वार, लेश्याद्वार, आराधनाफलद्वार - इन सातों द्वारों की दोनों में समानता है, शेष नामों में भिन्नता है।
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