SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कृतज्ञता - ज्ञापन सर्वप्रथम मैं संवेग या वैराग्य-मार्ग के उपदेष्ट परमपावन तीर्थंकर परमात्मा के चरणों में हृदय की असीम आस्था के साथ वन्दना करती हूँ। तत्पश्चात् उनकी इस संवेग की धारा को जीवन्त बनाए रखने वाले गौतमस्वामी एवं युगप्रभावक चारों दादा गुरुदेवों के प्रति सर्वतोभावेन नतमस्तक हूँ। इस शोध-प्रबन्ध की निर्विघ्न सम्पन्नता में कहीं-न-कहीं आगमज्योति आत्मसाधिका प.पू. गुरुवर्या प्रवत्तिनीजी श्री प्रेमश्री म.सा. का दिव्याशीष भी रहा है। इस ग्रन्थ की पूर्णाहुति की पावन वेला में मैं उनके चरणों में समग्रभावेन सादर सविनय नतमस्तक हूँ । परमपूज्य प्रज्ञामनीषी उपाध्यायप्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. के पावन चरणों में मेरा श्रद्धाभिसिक्त कोटि-कोटि वन्दन । हमारे लिए आपश्री का सदैव यही आदेश रहता है कि जीवन का प्रथम लक्ष्य अध्ययन है। अतः आप सभी अपनी-अपनी रुचि के अनुसार इस ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ते रहें। बड़ौदरा में आपश्री की प्रबल प्रेरणा से मुझमें उत्साह जाग्रत हुआ और उसी के फलस्वरूप मैंने शोधकार्य करने का निश्चय किया । इस ग्रन्थ की सम्पन्नता तक जिनकी पुनीत प्रेरणा रही, वे हैं बहुश्रुत, प्रबुद्ध ज्ञानयोगी, युग-प्रभावक आर्चाय प्रवर श्री कान्तिसागरसूरिजी म. सा. की आज्ञानुवर्त्तिनी, मम जीवन उपकारी, अध्यात्मयोगिनी, पार्श्वमणितीर्थ प्रेरिका, श्रद्धास्पद परम पूज्य गुरुवर्या श्री सुलोचना श्रीजी म.सा. एवं अनुशासनशीला, गुरुसमर्पिता, तपाराधिका परमपूज्य श्री सुलक्षणाश्रीजी म. सा.। इनके पावन चरणों में, मैं विनम्रभावेन वन्दना करती हूँ। आपका वरदहस्त न केवल इस शोधकार्य में ही, अपितु मेरे समग्र व्यक्तिगत के निर्माण में महत्वपूर्ण रहा है। मैं सदैव आपकी ऋण रहूँगी। मेरे रोम-रोम में आपके अनन्त उपकारों की सुगन्ध रम रही है। भविष्य में भी आपकी कृपा बनी रहे, मैं यही कामना करती हूँ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001677
Book TitleJain Dharma me Aradhana ka Swaroop
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadivyanjanashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Worship
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy