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________________ शुभ आशीर्वाद न जन्म हमारे हाथ में है, न मृत्यु ! जन्म के लिये समय, स्थान, घर, परिवेश आदि का चुनाव हमारे हाथ में नहीं है। न मृत्यु की तिथि या उस योग्य घटना का चुनाव किया जा सकता है। पर हमारे हाथ में है जीवन ! जीवनचर्या ! कैसे जीना ? इसका चिन्तन/विश्लेषण कर निर्णय किया जा सकता है। ___ और जीवन का परिणाम है- मृत्यु की स्थिति ! भले मृत्यु का क्षण हमारे हाथ में न हो, पर मृत्यु की स्थिति हमारे हाथ में है। स्थिति का अर्थ है- उस समय की मानसिक दशा ! और यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह जीवन का परिणाम है। जिस व्यक्ति का चिन्तन गहराई से भर गया हो, वह व्यक्ति जीने के लिये जीवन नहीं जीता अपितु मौत के लिए जीता है और सच्चाई यह है कि जो मौत के लिये जीता है, वही सही अर्थों में जीवन जीता है... उसी का जीवन सार्थक है। वह मौत की प्रतीक्षा नहीं करता पर आने पर सहर्ष स्वीकार करता है। वह जीवन भी उतने ही आनन्द से जीता है और मृत्यु के क्षणों को भी उतनी ही प्रसन्नता से स्वीकार करता है। इसीलिये शास्त्रों में कहा है- जिसकी मृत्यु महोत्सव बनती है, उसी का जीवन उत्सव कहलाता है। मृत्यु के लिए जीने का अर्थ है- मृत्यु को समाधिमय बनाने का पुरुषार्थ करना। समाधि अवस्था में मृत्यु को प्राप्त करने का अर्थ है- भविष्य का उत्तम निर्माण करना और वर्तमान को सार्थक करना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001677
Book TitleJain Dharma me Aradhana ka Swaroop
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadivyanjanashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Worship
File Size9 MB
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