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जैन-दर्शन के नव तत्त्व ठाणांगसूत्र में गौतम पूछते हैं-"के सासया लोए?” लोक में शाश्वत क्या है? इस पर भगवान महावीर ने उत्तर दिया-“जीवच्चेय अजीवच्चेय।" जीव और अजीव शाश्वत हैं।५२
भाव५३
औपशमिक (२) क्षायिक(E) क्षायोपशमिक (१८) औदयिक (२१) पारिणामिक (३) १- सम्यक्तव २-चारित्र
१-जीवत्व २-भव्यत्व ३अभव्यत्व १- केवलज्ञान २- केवल दर्शन ३- क्षायिक दान ४- क्षायिक लाभ - ५- क्षायिक भोग ज्ञान अज्ञान दर्शन लाब्धि क्षा-सम्यक्त्त्व ६- क्षायिक १-मति १-कुमति १-चक्षु १-दान क्षा-चरित्र - उपभोग ७- क्षायिक २-श्रुत २-कुश्रुत २-अचक्षु २-लाभ क्षा-संयमासंयम
सम्यक्त्व
८- क्षायिक
३-अवधि ३-कुअवधि ३-अवधि ३-भोग
वीर्य
४- मनः पर्याय
४- उपभोग
९- क्षायिक
चारित्र
५-वीर्य
गति कषाय लिंग मिथ्यादर्शन अज्ञान असंयम आसिद्धत्व १-नरक १-क्रोध १-स्त्रीवेद
लेश्या
१- कृष्ण२-तिर्यच २-मान २-पुरुषवेद
२-नील |
३-कापोत - ३-मनुष्य ३-माया ३-नपुंसकवेद
४-पीत -
५-पद्म - ४- देव ४- लोभ
६-शुक्ल
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