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जैन-दर्शन के नव तत्त्व
दोनों अवस्थाओं में तेरा एकमात्र कार्य धर्म ही होना चाहिए। क्योंकि यदि तू सुख में होगा, तो धर्म तेरे सुख की वृद्धि का कारण होगा और यदि दुःख में होगा, तो धर्म तेरे दुःख के विनाश का कारण होगा।५
बौद्धों के दस धर्म :
धर्म के दस भेद जैनों के समान ही बौद्ध, ईसाई और हिंदू लोगों ने भी माने हैं। बौद्धों के द्वारा मान्य दस धर्म ये हैं -
(१) अधिकारी व्यक्ति को दान देना, (२) सदाचार की शिक्षा के अनुसार अपना जीवन बिताना, (३) हमेशा सद्विचारों की प्रवृत्ति और प्रगति के बारे में तत्पर रहना, (४) सेवा को अपना ध्येय समझकर हमेशा दूसरों की सेवा करना, (५) अपने माता-पिता और अपने से बड़े लोगों की, उनकी बीमारी में, सेवा-शुश्रूषा करना और हमेशा उनसे आदर से बर्ताव करना, (६) अपने सद्गुणों का लाभ दूसरों को देना, (७) दूसरों के सद्गुणों को स्वयं आत्मसात् करना, (८) सत्य के मार्ग पर चलने वाले का उपदेश सुनना, (E) न्याय मार्ग पर ले जाने वाले ध्येय-वाक्यों का अन्य लोगों को उपदेश देना तथा (१०) धर्म के विषय में अपने विश्वास को हमेशा निर्मल और शुद्ध रखना।
ईसाइयों के दस धर्म :
(१) तुम अपने लिए बनाई हुई मूर्ति को ईश्वर मत मानो, स्वर्ग में जो निवास करता है उसे या पृथ्वी पर वास करने वाले को ईश्वर मानो। (२) ऐसी बनाई हुई मूर्ति के सामने अपने मस्तक को मत झुकाओ। (३) अपना मालिक जो ईश्वर है, उसके नाम का व्यर्थ जाप मत करो, क्योंकि जो व्यर्थ उसका नाम लेते हैं या उसके नाम का जयघोष करते हैं, उन्हें ईश्वर निरपराधी नहीं समझता। (४) जीवन के पवित्र दिन को ध्यान में रखो। उसे भूलो मत। उस दिन को पवित्र ही रहने दो। छह दिनों तक परिश्रम करो अपना काम पूर्ण करो। सातवाँ दिन निश्चित ही तुम्हारे ईश्वर की दृष्टि से पवित्र है। इस पवित्र दिन तुम कुछ भी काम न करो। तुम स्वयं, तुम्हारे पुत्र-पुत्रियाँ, नौकर, नौकरानी, मौसी, घर पर आए हुए मेहमान आदि को इस दिन काम नहीं करना चाहिए । क्योंकि ईश्वर ने छह दिनों में पूर्णतया स्वर्ग, पृथ्वी, सागर और दूसरी वस्तुओं को निर्माण किया और सातवें दिन विश्राम करके इस को पवित्र किया। (५) अपने माता-पिता का आदर करो। उनको सम्मान दो, ताकि पृथ्वी पर रहने के जो दिन ईश्वर ने बताए हैं, उनमें वृद्धि हो। (६) किसी को निरर्थक मत मारो (किसी की हत्या मत करो)। (७) व्यभिचार मत करो। (८) चोरी मत करो। (६) अपने पड़ोसी के विरुद्ध झूठी गवाही मत दो। (१०) अपने पड़ोसी का घर हड़पने की इच्छा मत करो। उसी प्रकार उसकी पत्नी उसके नौकर, नौकरानी, उसके बैल, गधों और अन्य किसी
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