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विषयानुक्रम
अध्याय
प्रथम अध्याय- प्रस्तावना
तत्त्व क्या है ?, तत्त्व की मान्यता, तत्त्व कितने हैं ?,
तत्त्व सात या नौ ?
द्वितीय अध्याय- जीवतत्त्व
मुख्य तत्त्व दो- जीव और अजीव, जीवतत्त्व को ही अग्रस्थान क्यों ?, आत्मवाद की उत्क्रांति का इतिहास, अन्य दर्शनों की मान्यता, जीव का लक्षण, उपयोग के भेद, जीव के अन्य लक्षण, जीव के भेद, चेतना के तीन भेद, जीव के भाव, जीव के तीन भाव, जीवों की संख्या, जीव की शाश्वतता, संसारी जीव के अन्य दो भेद, त्रस जीव के चार भेद, नारकी, मनुष्य, तिर्यंच, देव, स्थावर जीव के भेद, पृथ्वी आदि की सजीवता, जीव-अजीव वस्तु विस्तार, मन के भेद, शरीर के भेद, देह परिमाण जीव, जीव और कर्म, आधुनिक विज्ञान और जीवतत्त्व, जीव का विकास-क्रम, आत्मा के अस्तित्व की सिद्धि, विभिन्न वैज्ञानिकों के आत्मा विषयक विचार |
तृतीय अध्याय- अजीव तत्त्व अजीवतत्त्व, द्रव्य के लक्षण, द्रव्य का स्वरूप, द्रव्य का क्षेत्रप्रमाण, रूपी - अरूपी द्रव्य, प्रत्येक द्रव्य का अस्तित्व, अस्तिकाय का अर्थ, 'प्रदेश' का अर्थ, धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, अवगाहन - सिद्धि, काल द्रव्य, समस्त द्रव्यों पर काल द्रव्य के उपकार, निश्चय काल और व्यवहार काल, पुद्गल पुद्गल की व्याख्या, पुद्गल के दो भेद - अणु और स्कंध, परमाणुओं की सूक्ष्मता, आधुनिक विज्ञान में परमाणु, पुद्गल के बीस गुण, अणुवाद, ग्रीस का अणुवाद, जैन और वैशेषिक का अणुवाद | चतुर्थ अध्याय- पुण्य तत्त्व और पाप तत्त्व 'पुण्य-पाप' की व्याख्याएं, पूर्वकृत पाप-पुण्य, द्रव्य पुण्य भावपुण्य, पुण्य के और दो भेद, 'पुण्य' के नौ भेद, 'पुण्य' का फल, सुखप्राप्ति 'पुण्य' के कारण ही, पुण्य की महिमा, सच्चा पुण्यवान
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