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जैन, बौद्ध तथा गोता के आचारदर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन २. सामाजिक
अहिंसा शान्ति एवं अभय धर्म (नैतिकता) विषमता
(युद्ध एवं संघर्ष का पुरुषार्थ
अभाव) ३. वैचारिक विषमता अनाग्रह (अनेकांत) वैचारिक समन्वय धर्म और मोक्ष पुरु
एवं समाधि षार्थ का समन्वित रूप ४. मानसिक
अनासक्ति आनन्द काम पुरुषार्थ विषमता
(वीतरागावस्था) मोक्ष पुरुषार्थ इन सूत्रों के मूल्यों और उनके परिणामों का विस्तृत विवेचन पीछे किया जा चुका है । संक्षेप में समालोच्य आचार-दर्शन द्वारा प्रस्तुत विषमता निराकरण के सभी सूत्र सामाजिक एवं वैयक्तिक जीवन में समत्व, शान्ति एवं सन्तुलन स्थापित कर व्यक्ति को दुःखों एवं विषमताओं से मुक्त करते हैं ।
वर्तमान युग में नैतिकता की जीवन-दृष्टि-इन विषमताओं के कारणों एवं उनके निराकरण के सूत्रों के विश्लेषण के अन्त में यह पाते हैं कि इन सब के मूल में मानसिक विषमता है । मानसिक विषमता आसक्तिजन्य है, आसक्ति का ही दूसरा नाम है । वैयक्तिक जीवन में आसक्ति के एक रूप (जिसे दृष्टि राग कहा जाता है) से ही साम्प्रदायिकता, धर्मान्धता और विभिन्न राजनैतिक मतवादों एवं आर्थिक विचारणों का जन्म होता है, जो सामाजिक जीवन में वर्ग भेद एवं संघर्ष पैदा करते हैं । आसक्ति के दूसरे रूप संग्रहवृत्ति और विषयासक्ति से असमान वितरण और भोगवाद का जन्म होता है, जिसमें वैयक्तिक एवं सामाजिक विषमताओं और सामाजिक अस्वास्थ्य (रोग) के कीटाणु जन्म लेते हैं और उसी में पलते हैं ।
वर्तमान युग के अनेक विचारकों ने आसक्ति के बदले अभाव को ही सारी विषमताओं का कारण माना और उसकी भौतिक पूर्ति के प्रयास को ही वैयक्तिक एवं सामाजिक विषमता के निराकरण का आवश्यक साधन माना, इसमें आंशिक सत्य है, फिर भी इसे नैतिक जीवन का अन्तिम सत्य नहीं माना जा सकता। मनुष्य केवल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के बल पर नहीं जी सकता। ईसा ने ठीक ही कहा था कि केवल रोटी पर्याप्त नहीं है । इसका यह अर्थ नहीं है कि वह बिना रोटी के जी सकता है। रोटी के बिना तो नहीं जी सकता, लेकिन अकेली रोटी से भी नहीं जी सकता है। रोटी के बिना जीना असम्भव है और अकेली रोटी पर या रोटी के लिए जीना व्यर्थ है। जैसे पौधों के लिए जड़ें होती है, वैसे ही मनुष्य के लिए रोटी या भौतिक वस्तुएँ हैं। जड़ें स्वयं अपने लिए नहीं है, वे फूलों और फलों के लिए हैं। फूल और फल न आवे तो उनका होना निरर्थक है। यद्यपि फूल और फल उनके बिना नहीं आ सकते हैं, तब भी फूल और फल उनके लिए नहीं हैं। जीवन में निम्न आवश्यक है,
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