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श्रमण-धर्म
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४. यह कहना कि मुझ जैसे धार्मिक पुरुष से संभोग करना उचित है। ५. स्त्री एवं पुरुषों के मध्य काम-संबंध स्थापित करने के लिए मध्यस्थता करना।
६. भिक्षु-संघ की स्वीकृति के बिना सीमा से बडी, भययुक्त एवं बिना खुली जगह में कुटिया निर्माण करना ।
७. अपने और दूसरों के लिए बिना भिक्ष संघ की स्वीकृति के भययुक्त एवं बिना खुली जगह में भिक्षु आवास का बनवाना ।
८. द्वेष एवं घृणा के वशीभूत होकर किसी अन्य भिक्षु पर पाराजिक अपराध का मिथ्या आरोप उसे संघ से बाहर करने के लिये लगाना ।
९. किसी भिक्षु के छोटे अपराध को, द्वष एवं घृणा के वशीभूत होकर और उसे संघ से बाहर करने के लिए, बड़ा पारांचिक अपराध बताना ।
१०. भिक्ष-संघ के द्वारा संघ-भेद नहीं करने के लिए प्रार्थना करने पर भी किसी बात पर जोर देकर संघ-भेद करवाना ।
११. संघ-भेद करवाने वाले भिक्षु के अतिरिक्त वे भिक्ष जो उसका समर्थन करते हैं, वे भी संघादिशेष के दोषी हैं ।
१२. भिक्षु संघ के द्वारा यह समझाने पर भी कि आपस के सहयोग और परामर्श से संघ का विकास होगा, जो भिक्ष अपने को संघीय जीवन से पृथक् रखता है, वह भी संघादिशेष अपराध का दोषी है ।
१३. जो भिक्ष अपने दुराचरण के कारण गांव के लोगों के द्वारा दुराचारी के रूप में जाना जा चुका है और संघ के निवेदन के उपरांत भी गाँव से नहीं हटता है, वह भी संघादिशेष अपराध का दोषी है।
बौद्ध-परम्परा में प्रायश्चित्त के अन्य प्रकार अनियत नैसर्गिक और पाचित्तिय है । जिन्हें बौद्ध परम्परा की पारिभाषिक शब्दावलि में निसग्गीय पाचित्तिय धम्म और पाचित्तिय धम्म कहा जाता है, उनकी तुलना जैन-परम्परा के सामान्यतया आलोचना और प्रतिक्रमण से की जा सकती है। निसग्गीय पाचित्तिय धम्म में सामान्यतया वस्त्र पात्र संबंधी ३० नियम आते हैं और उनका उल्लंघन करने पर श्रमण निसग्गीय पाचित्तिय अपराध का दोषी माना जाता है । अन्य भाषण, निवास, आहार, आदि संबंधी ९२ नियम पाचित्तिय धम्म कहे जाते हैं और उनका उल्लंघन करने पर भिक्षु पाचितिय धम्म का दोषी माना जाता है । प्रतिदेशनीय, सेखिय और अधिकरण समथ-शिक्षाएँ हैं।' ___ इस प्रकार जैन एवं बौद्ध दोनों परम्पराओं में भिक्ष -जीवन एवं श्रमण-संस्था को पवित्र बनाये रखने के लिए विभिन्न नियमों और प्रायश्चित्तों का विधान है । आदर्श श्रमण के जीवन का सुन्दर विवेचन जैन और बौद्ध परम्पराओं में है । जैनों के दशवकालिक १. विस्तृत विवेचन के लिए देखिए विनयपिटक-पातिमोक्ख के नियम ।
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