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(४०६ ) ; कायोत्सर्ग के लाभ (४०६ ); कायोत्सर्ग के लाभ के सन्दर्भ-शरीर में शास्त्रीय दृष्टिकोण (४०६ ) ; प्रत्याख्यान (४०७ ) ; गीता में त्याग (४०८); दशविधधर्म- सद्गुण (४०९ ); क्षमा ( ४१० ); बौद्ध परम्परा में क्षमा (४१०); वैदिक परम्परा में क्षमा ( ४११ ); मार्दव ( ४११ ); बौद्ध परम्परा में अहंकार की निन्दा (४१२ ); गीता में अहंकार वृत्ति की निन्दा ( ४१३ ) ; आर्जव (४१३ ); बौद्ध दृष्टिकोण ( ४१४ ) ; महाभारत और गीता का दृष्टिकोण (४१४); शौच ( पवित्रता ) ( ४१४ ) ; सत्य ( ४१५ ) ; संयम ( ४१५ ) ; संयम और बौद्ध दृष्टिकोण ( ४१६); गीता में संयम ( ४१६ ) ; तप ( ४१६ ) ; त्याग (४१६ ) ; अकिंचनता ( ४१७ ) ; अकिंचनता और बुद्ध ( ४१७ ); महाभारत में अकिंचनता ( ४१७ ) ; ब्रह्मचर्य ( ४१८ ); बौद्ध परम्परा में ब्रद्धचर्य (४१८); गीता में ब्रह्मचर्य ( ४१८); वैदिक परम्परा में दश धर्म ( सद्गुण ) ( ४१९ ); बौद्ध धर्म और दश सद्गुण ( ४१९ ) ; धर्म के चार चरण (४२० ); दान (४२० ); दान के प्रकार (४२१ ); शील (४२३); तप (४२३); भावना ( अनुप्रेक्षा) (४२३), अनित्य भावना ( ४२३ ) ; बौद्ध एवं वैदिक परम्पराओं में अनित्य भावना (४२४ ) ; एकत्वभावना (४२४); बौद्ध परम्परा में एकत्व भावना (४२५ ) ; गीता एवं महाभारत में एकत्व भावना (४२५); अन्यत्व भावना ( ४२५ ) ; गीता एवं महाभारत में अन्यत्व भावना (४२६); अशुचि भावना (४२६ ) ; बौद्ध परम्परा में अशुचि भावना (४२६ ) ; महाभारत में अशुचि भावना (४२७); बौद्ध परम्परा में अशरण भावना (४२७ ) ; महाभारत में अशरण भावना : (४२७);संसार भावना (४२८); बौद्ध परम्परा में संसार भावना (४२८); महाभारत में संसार भावना (४२८ ) ; आस्रव भावना (४३९); बौद्ध परम्परा में आस्रव भावना (४२९); संवर भावना (४२९); बौद्ध परम्परा में संवर भावना ( ४३० ) ; निर्जरा भावना (४३०); धर्म भावना ( ४३०); बौद्ध परम्परा में धर्म भावना ( ४३१); महाभारत में धर्म भावना ( ४३१); लोक भावना ( ४३१ ) ; बोधि दुर्लभ भावना (४३१); बौद्ध परम्परा में बोधि-दुर्लभ भावना (४३२); चार भावनाएँ - १. मैत्री भावना २. प्रमोद ३. करुणा ४. माध्यस्थ (उपेक्षा) (४३३ - ४३४ ) ' बौद्ध परम्परा में चार भावनाएँ ( ४३४), वैदिक परम्परा में चार भावनाएँ ( ४३५ ) ; समाधि-मरण (संलेखना ) ( ४३५ ); समाधि-मरण के भेद (४३६); समाधि - मरण ग्रहण करने की विधि ( ४३७ ); बौद्ध परम्परा में मृत्युवरण (४३७); वैदिक परम्परा में मृत्युवरण (४३८); समाधि-मरण के दोष ( ४३९ ) ; समाधि-मरण और आत्महत्या (४४०); समाधि-मरण का मूल्यांकन (४४१) ।
अशरण भावना
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