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३. बन्धन के कारणों का बन्ध के चार प्रकारों से सम्बन्ध ४. अष्टकर्म और उनके कारण
१. ज्ञानावरणीय कर्म ३६७ / ज्ञानावरणीय कर्म के बन्धन के कारण ३६७ / १. प्रदोष ३६७ / २. निह्नव ३६७ / ३. अन्तराय ३६७ / ४. मात्सर्य ३६७ / ५. असादना ३६७ / ६. उपघात ३६७ / ज्ञानावरणीय कर्म का विपाक ३६७ / १. मतिज्ञानावरण ३६७ / २. श्रुतिज्ञानावरण ३६७ / ३. अवधिज्ञानावरण ३६७ / ४. मनःपर्याय ज्ञानावरण ३६७ / ५. केवल ज्ञानावरण ३६७ /
२. दर्शनावरणीय कर्म ३६८ | दर्शनावरणीय कर्म के बन्ध के कारण ३६८ | दर्शनावरणीय कर्म का विपाक ३६८ / १. चक्षुदर्शनावरण ३६८/२. अचक्षुदर्शनावरण ३६८ | ३. अवधिदर्शनावरण ३६८) ४. केवलदर्शनावरण ३६८ ! ५ निद्रा ३६८ / ६. निद्रानिद्रा ३६८ / ७. प्रचला ३६८ / ८. स्त्यानगृद्धि ३६८ /
३. वेदनीय कर्म ३६८/ सातावेदनीय कर्म के कारण ३६९ / सातावेदनीय कर्म का विपाक ३६९ / असातावेदनीय कर्म के कारण ३६९ /
४. मोहनीय कर्म ३७० / मोहनीय कर्म के बन्ध के कारण ३७० / (अ) दर्शन मोह ३७१ / (ब) चारित्र मोह ३७१ /
५. आयुष्य कर्म ३७२ / आयुष्य-कर्म के बन्ध के कारण ३७२ / (अ) नारकीय जीवन की प्राप्ति के चार कारण ३७२/ (ब) पाशविक जीवन की प्राप्ति के चार कारण ३७२ / (स) मानव जीवन की प्राप्ति के चार कारण ३७३ / (द) दैवीय जीवन की प्राप्ति के चार कारण ३७३ / आकस्मिकमरण ३७३ /
६. नाम कर्म ३७३ / शुभनाम कर्म के बन्ध के कारण ३७४ | शुभनाम कर्म का विपाक ३७४ / अशुभनाम कर्म के कारण ३७४ / अशुभनाम कर्म का विपाक ३७४ /
७. गोत्र कर्म ३७५ / उच्च गोत्र एवं नीच गोत्र के कर्मबन्ध के कारण ३७५ / गोत्र कर्म का विपाक ३७५ /
• ८. अन्तराय कर्म ३७५ / १. दानान्तराय ३७६ / २. लाभान्तराय ३७६ । ३. भोगान्तराय ३७६ / ४. उपभोगान्तराय ३७६ / ५. वीर्यान्तराय ३७६ !
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