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१. नैतिक विचारणा में कर्म सिद्धान्त का स्थान
२. कर्म सिद्धान्त की मौलिक स्वीकृतियां और फलितार्थ
संक्षेप में इन आधारभूत मान्यताओं के फलितार्थ निम्नलिखित हैं २९७ /
३. कर्म सिद्धान्त का उद्भव
४. कारण सम्बन्धी विभिन्न मान्यताएँ
१. कालवाद २९८ / २. स्वभाववाद २९८ / ३. नियतिवाद २९९ / ४. यदृच्छावाद २९९ / ५. महाभूतवाद २९९ / ६. प्रकृतिवाद २९९ / ७. ईश्वरवाद २९९ /
५. औपनिषदिक दृष्टिकोण
गीता का दृष्टिकोण ३०० | बौद्ध दृष्टिकोण ३०० / जैन दृष्टिकोण ३०१ /
६. जैन दर्शन का समन्वयवादी दृष्टिकोण
गीता के द्वारा जैन दृष्टिकोण का समर्थन ३०३ / ७. 'कर्म' शब्द का अर्थ
गीता में कर्म शब्द का अर्थ ३०४ / बौद्ध दर्शन में कर्म का अर्थ ३०४ / जैन दर्शन में कर्म शब्द का अर्थ ३०५ /
८. कर्म का भौतिक स्वरूप
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कर्म - सिद्धान्त
द्रव्य-कर्म और भाव-कर्म ३०७ / द्रव्य-कर्म और भाव-कर्म का सम्बन्ध ३०८ | (अ) बौद्ध दृष्टिकोण एवं उसकी समीक्षा ३०८ | (ब) सांख्य दर्शन और शांकर वेदान्त के दृष्टिकोण को समीक्षा ३१० / गीता का दृष्टिकोण ३१० / एक समग्र दष्टिकोण आवश्यक ३११ /
९. भौतिक और अभौतिक पक्षों की पारस्परिक प्रभावकता
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