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आत्मा को अमरता
२५५ लिए दार्शनिक, वैज्ञानिक तथा नैतिक युक्तियाँ प्रस्तुत की गयी हैं । कुछ प्रमुख विचारकों की युक्तियाँ निम्नानुसार हैं
दार्शनिक युक्तियां-प्लेटो ने आत्मा की अमरता के लिए निम्न दार्शनिक युक्तियां दी है-(१) अवयवहीन होने से आत्मा की अमरता सिद्ध होती है। आत्मा निरावयव है, अविभाज्य है। इसलिए आत्मा अमर है। (२) स्रष्टा की अच्छाई से भी आत्मा को अमरता सिद्ध होती है। यदि ईश्वर अच्छा है तो वह आत्मा को नष्ट नहीं होने देगा और उसके कर्मों के फल से वंचित नहीं करेगा । ( ३ ) आत्मा सत् है और सत् असत् नहीं हो सकता। (४) बुद्धि आत्मा का स्वरूप है। ऐन्द्रियता और इच्छा आत्मा के मरणशील अंश हैं, क्योंकि ये शरीर के ऊपर निर्भर हैं। लेकिन बुद्धि आत्मा का अमर अंश है। (५) आत्मा का पहले भी अस्तित्व था और इसलिए आगे भी रहेगा । शरीर के पैदा होने से पहले आत्मा थी, इसलिए शरीर का नाश होने के बाद भी रहेगी। शरीर के नाश होने से आत्मा नामक अभौतिक सत्ता के अस्तित्व पर कोई असर नहीं होता। (६) आत्मा में शरीर और उसके बन्धनों से मुक्त होने की अप्रतिहत इच्छा पायी जाती है । इससे यह सिद्ध होता है कि वह स्वरूपतः अमर है।
अरस्तू भी यह मानता है कि आत्मा का ऐन्द्रिक अंश मरणशील है, यहाँ तक कि उसकी निष्क्रिय बुद्धि भी, जो कि शरीर के ऊपर निर्भर है, मरणशील है। लेकिन उसकी सक्रिय बुद्धि अभौतिक है और इसलिए अमर है। बर्कले भी आत्मा की निरवयवता, अविभाज्यता और अभौतिकता से उसकी अमरता को सिद्ध करता है । लाइब्नीज़ भी आत्मा की अभौतिकता से उसकी अमरता सिद्ध करता है ।
वैज्ञानिक युक्ति-मार्टिन्यू ने शक्ति-अक्षयता ( ऊर्जा की नित्यता ) की वैज्ञानिक धारणा के आधार पर आत्मा की अमरता को सिद्ध करने का प्रयत्न किया है। उनका कहना है कि मृत्यु अपने भौतिक रूप में केवल शक्ति का परिवर्तन है । मृत्यु होने पर शरीर की शक्तियाँ विशृंखल हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप शरीर नष्ट हो जाता है । परन्तु शक्ति-अक्षयता के नियम के अनुसार ये शक्तियां पूर्णतः नष्ट नहीं हो सकतीं। या तो शक्ति-अक्ष यता नियम में मानसिक शक्ति सम्मिलित रहती है अथवा नहीं रहती । यदि यह भौतिक शक्ति पर लागू होता है तो मन पदार्थ से पृथक् अथवा स्वतन्त्र रहता है अर्थात् मनुष्य की आत्मा मृत्यु के पश्चात् भी जीवित रह सकती है। परन्तु यदि यह नियम भौतिक और मानसिक दोनों शक्तियों पर लागू होता है तो ठीक जिस प्रकार भौतिक शक्ति पूर्णतः कभी भी समाप्त नहीं हो सकती, वरन् किसी न किसी रूप में बची ही रहती है, उसी प्रकार मानसिक शक्ति भी मृत्यु के उपरान्त पूर्णतः समाप्त नहीं हो सकती वरन् यह किसी न किसी रूप में मौजूद रहती है । इस प्रकार मानवीय आत्मा की अमरता शक्ति-अक्षयता नियम के विरुद्ध नहीं है।'
१. उद्धृत-नीतिशास्त्र का सर्वेक्षण, पृ० २९१.
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