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शंकर का दृष्टिकोण एकान्त एकतत्त्ववादी नहीं है १८८ /
शांकर दर्शन की मूलभूत कमजोरी १८९ / (ब) सत् के अनेक, अनित्य और भौतिक स्वरूप की नैतिक समीक्षा
बौद्ध दर्शन का अनित्यवादी दृष्टिकोण १९१ | अनित्यवाद एवं क्षणिकवाद १९२ | बुद्ध का अनित्यवाद उच्छेदवाद नहीं है १९२ / सत् के सम्बन्ध में जैन दृष्टिकोण १९४ / जैन दृष्टि
कोण की गीता से तुलना १९६ / ३. जैन, बौद्ध और गीता की तत्त्वयोजना की तुलना
जैन तत्त्व योजना एवं उसकी नैतिक प्रकृति १९६ / बौद्ध तत्व योजना एवं उसकी नैतिक प्रकृति १९७ / जैन तत्त्व योजना से तुलना १९८ / गीता की तत्त्व योजना १९८ / जैन, बौद्ध और
गीता के तत्त्वों की तुलनात्मक तालिका १९९ / ४. नैतिक मान्यताएँ
पाश्चात्य आचार दर्शन की नैतिक मान्यताएँ २०० / भारतीय आचार दर्शन की नैतिक मान्यताएँ २०१ / जैन दर्शन की नैतिक मान्यताएँ २०१ | बौद्ध आचारदर्शन की नैतिक मान्यताएँ २०१ / गीता की नैतिक मान्यताएँ २०२ /
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आत्मा का स्वरूप और नैतिकता
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१. नैतिकता और आत्मा २. आत्मा के प्रत्यय की आवश्यकता ३. आत्मा का अस्तित्व ४. आत्मा एक मौलिक तत्त्व
आक्षेप एवं निराकरण २१० / ५. आत्मा और शरीर का सम्बन्ध
( अ ) जैन दृष्टिकोण २१३ / ( ब ) बौद्ध दृष्टिकोण २१३ /
(स) गीता का दृष्टिकोण २१३ / ६. आत्मा के लक्षण
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