SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५ भारतीय और पाश्चात्य नैतिक मानदण्ड के सिद्धान्त १. सदाचार और दुराचार का अर्थ २. जैन दर्शन में सदाचार का मानदण्ड ३. नैतिक सन्देहवाद और जैन आचारदर्शन (अ) नैतिक सन्देहवाद की अर्थवैज्ञानिक युक्ति और तार्किक भाववाद १०२ / ( आ ) नैतिक सन्देहवाद की मनोवैज्ञानिक युक्ति १०३ / (इ) नैतिक सन्देहवाद की समाजशास्त्रीय युक्ति १०४ / ४. जैन दर्शन को नैतिक सन्देहवाद अस्वीकार ५. नैतिक प्रतिमान के सिद्धान्त ६. विधानवादी सिद्धान्त १. बाह्य विधानवादी सिद्धान्त ( सामाजिक विधानवाद, वैधानिक विधानवाद, ईश्वरीय विधानवाद ) १०८ / २. आन्तरिक विधानवाद ( बुद्धिवाद और जैन दर्शन, नैतिक इन्द्रियवाद और जैन दर्शन, सहानुभूतिवाद और जैन दर्शन, नैतिक अन्तरात्मवाद और जैन दर्शन, मनोवैज्ञानिक अन्तरात्मवाद ) ११०/ ७. प्रयोजनात्मक अथवा साध्यवादी सिद्धान्त १. सुखवाद ( मनोवैज्ञानिक सुखवाद और जैन आचारदर्शन, अन्य भारतीय दर्शनों में मनोवैज्ञानिक सुखवाद, जैन आचारदर्शन और नैतिक सुखवाद, अरस्तू का मात्रा का मानक और जैन दर्शन ) ११९ / २. विकासवाद और जैन दर्शन १२९ / ३. बुद्धिपरतावाद और जैन दर्शन ( सार्वभौम विधान, प्रकृतिविधान, स्वयं साध्य, स्वतन्त्रता, साध्यों का राज्य ) १३२ / ४. पूर्णतावाद और जैन दर्शन १३५ / ५. मूल्य का प्रतिमान और जैन दर्शन १३८ / Jain Education International - ९५ · -. For Private & Personal Use Only ९७ ९८ १०२ १०५ १०७ १०८ ११९ www.jainelibrary.org
SR No.001674
Book TitleJain Bauddh aur Gita ke Achar Darshano ka Tulnatmak Adhyayana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1987
Total Pages586
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy